₹8700 करोड़ का जॉब ऑफर ठुकराने वाले एंड्रयू टुलक कौन हैं? जानिए उनकी कहानी!

Om Prakash

नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025: क्या कोई इतनी बड़ी रकम ठुकरा सकता है जो पूरी जिंदगी बदल दे? हां और इसका ताजा उदाहरण हैं एंड्रयू टुलक जिन्होंने मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के ₹8700 करोड़ (1.5 बिलियन डॉलर) के जॉब ऑफर को ठुकराकर दुनिया को हैरान कर दिया। आइए जानते हैं कि आखिर ये शख्स हैं कौन और उन्होंने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया।

गोल्डमैन सैक्स से मेटा तक का सफर

एंड्रयू टुलक एक ऑस्ट्रेलियाई कंप्यूटर साइंटिस्ट हैं जिन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी से साइंस में टॉप ग्रेड्स के साथ पढ़ाई पूरी की। उनके करियर की शुरुआत मशहूर कंपनी गोल्डमैन सैक्स में एक रणनीतिकार के तौर पर हुई। इसके बाद वो फेसबुक (अब मेटा) से जुड़े और 11 साल तक वहां अहम भूमिका निभाई। फिर वो ओपनएआई चले गए जहां उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया। लेकिन असली चर्चा तब शुरू हुई जब उन्होंने मेटा का लुभावना ऑफर ठुकराया।

थिंकिंग मशीन लैब: सपनों का पीछा

एंड्रयू टुलक अब थिंकिंग मशीन लैब के को-फाउंडर हैं जिसे ओपनएआई की पूर्व CTO मीरा मुराटी के साथ मिलकर शुरू किया गया है। इस स्टार्टअप का मकसद है AI को और बेहतर, यूजर-फ्रेंडली और कस्टमाइज करने योग्य बनाना। खबरों के मुताबिक मार्क जुकरबर्ग ने पहले इस कंपनी को खरीदने की कोशिश की लेकिन मीरा और टुलक ने इसे बेचने से इनकार कर दिया। फिर मेटा ने टुलक और उनकी टीम को 1.5 बिलियन डॉलर का ऑफर दिया जिसमें 6 साल तक बोनस और स्टॉक्स शामिल थे। लेकिन टुलक ने इसे ठुकराकर अपने सपनों को चुना।

क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?

सोशल मीडिया पर लोग टुलक के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “टुलक ने गणना की और समझा कि उनकी कंपनी की वैल्यू मेटा के ऑफर से कहीं ज्यादा हो सकती है।” थिंकिंग मशीन लैब की हालिया सीरीज B फंडिंग के बाद उनकी नेटवर्थ 1 साल में 3 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। टुलक का मानना है कि पैसों से ज्यादा अपने विजन और मूल्यों की कीमत है।

मेटा की AI रेस में टक्कर

मेटा ने AI के क्षेत्र में तेजी लाने के लिए सुपरइंटेलिजेंस लैब्स बनाया है और हाल ही में स्केल AI में 49% हिस्सेदारी खरीदी है। लेकिन टुलक और उनकी टीम का मेटा के ऑफर को ठुकराना दर्शाता है कि AI टैलेंट की रेस में पैसा ही सब कुछ नहीं है।

एंड्रयू टुलक की इस हिम्मत भरी कहानी ने साबित कर दिया कि जुनून और आत्मविश्वास के आगे कोई भी रकम छोटी पड़ सकती है। क्या आप भी उनके इस फैसले से प्रेरित हैं?

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ओम प्रकाश एक स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं, जो सच्चाई और पारदर्शिता के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह समसामयिक घटनाओं और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर लिखती हैं। उनका उद्देश्य पाठकों को पूरी तरह से जाँची-परखी और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना है, ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें। आप उनके काम को फॉलो कर सकते हैं।
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