फरीदाबाद के बल्लभगढ़ क्षेत्र में मोहना और आसपास के 15 गांवों के किसानों ने जमीन के सर्किल रेट को बाजार मूल्य के अनुसार 4.50 करोड़ रुपये प्रति एकड़ करने की जोरदार मांग उठाई है। किसानों ने इस मांग को लेकर मोहना उपतहसील में नायब तहसीलदार ओमकारदत्त शर्मा को एक ज्ञापन सौंपा और प्रशासन को 22 अगस्त तक सर्किल रेट बढ़ाने की समयसीमा दी है। ऐसा न होने पर उन्होंने आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है।
किसानों का कहना: बाजार दर से बहुत पीछे हैं सर्किल रेट
किसानों का कहना है कि मौजूदा सर्किल रेट बाजार की वास्तविक कीमतों से काफी कम हैं। स्थानीय किसान नेता डीके शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में जमीन की रजिस्ट्री 4.80 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक हो चुकी है, लेकिन सर्किल रेट इससे बहुत कम हैं। उन्होंने कहा, “जब बाजार में जमीन इतने ऊंचे दामों पर बिक रही है, तो सर्किल रेट को अपडेट करने में क्या दिक्कत है? प्रशासन को हमारी मांग पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”
किसानों ने बताया कि इस मुद्दे पर पहले भी नायब तहसीलदार और बल्लभगढ़ के एसडीएम के साथ बैठकें हो चुकी हैं। इसके अलावा, 3 अगस्त को पंचायत आयोजित कर प्रशासन को सर्किल रेट बढ़ाने की मांग रखी गई थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पूर्व सरपंच किशन और मास्टर गिर्राज ने कहा, “हमने बार-बार अपनी बात रखी, लेकिन प्रशासन हमारी मांगों को अनसुना कर रहा है। अब हम और इंतजार नहीं करेंगे।”
22 अगस्त तक का अल्टिमेटम
किसानों ने साफ कर दिया है कि अगर 22 अगस्त तक सर्किल रेट को बाजार दर के अनुसार 4.50 करोड़ रुपये प्रति एकड़ नहीं किया गया, तो वे आंदोलन शुरू करेंगे। ईश्वर नंबरदार ने कहा, “हमारी मांग जायज है। सरकार को हमारी जमीन का सही मूल्य देना होगा, वरना हम सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।”
क्या है सर्किल रेट का मसला?
सर्किल रेट वह न्यूनतम मूल्य है, जिसके आधार पर जमीन की रजिस्ट्री की जाती है और स्टांप ड्यूटी तय होती है। अगर सर्किल रेट बाजार मूल्य से कम होता है, तो इससे न केवल किसानों को नुकसान होता है, बल्कि सरकारी राजस्व भी प्रभावित होता है। मोहना और आसपास के गांवों में तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट विकास के कारण जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन सर्किल रेट पुराने स्तर पर ही अटके हुए हैं।
किसानों की इस मांग ने स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन किसानों की मांगों को पूरा करता है या यह मुद्दा और गहराता है। फिलहाल, मोहना और आसपास के गांवों के किसान अपनी मांगों को लेकर एकजुट हैं और प्रशासन से जल्द कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।
