ट्रंप के टैरिफ पर भारत का करारा जवाब: किसानों के हित पहले – भारत दबाव में नहीं झुकेगा

Rajveer Singh
ट्रंप के टैरिफ पर भारत का करारा जवाब: किसानों के हित पहले - भारत दबाव में नहीं झुकेगा

नई दिल्ली। अमेरिका ने भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 50% कर दिया है, जिसमें रूस से कच्चे तेल की खरीद पर 25% अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। इस फैसले ने भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में एक बयान में कहा कि भारत अमेरिका से कृषि उत्पादों के आयात पर कोई डील नहीं करेगा, जो भारतीय किसानों को नुकसान पहुंचाए। उन्होंने कहा,

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि हमारे किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हित सर्वोपरि हैं। हम उनके हितों की रक्षा करेंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी कीमत चुकानी पड़े।”

टैरिफ से बढ़ा तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम से दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में खटास आई है। चौहान ने कहा कि भारत अपने फैसले खुद लेता है और विदेशी दबाव में नहीं झुकेगा। उन्होंने विपक्ष के उन आरोपों को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि ट्रंप के टैरिफ के कारण भारत में जीएसटी ढांचे में बदलाव हुआ है। चौहान ने तंज कसते हुए कहा,

“विपक्ष को हर अच्छे काम में ट्रंप की साजिश नजर आती है। लेकिन पीएम मोदी ने दिखा दिया है कि देश का हित पहले है।”

स्वदेशी पर जोर

चौहान ने पहले भी 25 अगस्त को एक कार्यक्रम में कहा था कि सरकार ने अमेरिकी कृषि उत्पादों के आयात की मांग को ठुकरा दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देगा और अपने किसानों को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा:

“हमारे किसान, मुर्गीपालक और मछुआरे देश की रीढ़ हैं। उनकी मेहनत को हम किसी सौदे में नहीं तौल सकते,”

भारत की ताकत: 144 करोड़ का बाजार

चौहान ने यह भी बताया कि भारत की 144 करोड़ की आबादी उसकी ताकत है। “हमारा घरेलू बाजार इतना बड़ा है कि हम अपनी उपज यहीं खपा सकते हैं। यूरोप और अमेरिका की आबादी हमसे कम है। हम नए बाजार तलाशेंगे, लेकिन अपने किसानों को नुकसान नहीं होने देंगे।”

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राजवीर सिंह एक पेशेवर कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता का अनुभव है और स्थानीय, सामुदायिक और अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की गहरी समझ रखते हैं। वे अपने ज्ञान का उपयोग न केवल अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि, बल्कि अपनी प्रत्यक्ष समझ के आधार पर जानकारीपूर्ण लेख लिखने में करते हैं। वे केवल सूचना देने के लिए नहीं, बल्कि आवाज़ उठाने के लिए भी लिखते हैं।