मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में पुलिस ने एक सनसनीखेज मामले का पर्दाफाश किया है। एक व्यक्ति जो खुद को पलाश अधिकारी बता रहा था, को बांग्लादेशी घुसपैठिया शेख मोइनुद्दीन के रूप में पहचाना गया है। 42 वर्षीय इस शख्स ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए खुद को भारतीय नागरिक और हिंदू साबित करने की कोशिश की लेकिन अदालती जांच में उसकी असली पहचान सामने आ गई। अब उसको गिरफ्तार करके कार्यवाही की जा रही है।
फर्जी दस्तावेजों का जाल
पलाश ने आधार कार्ड, वोटर आईडी और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज पेश किए, जिसमें उसने खुद को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के काशिमपुर का निवासी बताया। दस्तावेजों में उसका पिता रमेश अधिकारी और भाई सुभ्रतो, सौमेन और राहुल अधिकारी के नाम शामिल थे। हालांकि, जांच में पता चला कि रमेश अधिकारी के केवल दो बेटे, सुभ्रतो और सौमेन, 1995 और 1997 में पैदा हुए थे। पलाश का दावा 1983 में जन्म का था, जो रमेश की 1993 में हुई शादी से पहले का था, जिससे उसकी कहानी संदिग्ध हो गई।
अदालत ने खोली पोल
अदालत ने पुराने रिकॉर्ड्स, खासकर 2002 और 2010 की विशेष जांच रिपोर्ट (SIR) की जांच की, जिसमें पलाश और राहुल का कोई जिक्र नहीं था। 2015 के बाद इन नामों का मतदाता सूची में शामिल होना सवालिया निशान खड़ा करता है। रमेश अधिकारी ने भी पलाश और राहुल को न जानने की बात कही, जिसके बाद शेख मोइनुद्दीन की असली पहचान—अहमदपुर, खुलना, बांग्लादेश का निवासी—सामने आई।
खतरनाक साजिश का संकेत
पिछले 10 सालों से मोइनुद्दीन मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में मज़दूरी के बहाने रह रहा था। पुलिस का दावा है कि वह कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल हो सकता था। ‘राहुल अधिकारी’ की पहचान अभी रहस्य बनी हुई है, और पुलिस उसकी तलाश में जुट गई है। यह मामला देश में फर्जी दस्तावेजों के जरिए घुसपैठ की गंभीर समस्या को उजागर करता है।
सरकार से शख्त कार्यवाही की मांग
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार से मतदाता सूची की गहन जांच और फर्जी नागरिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम बंगाल की porous सीमा और भ्रष्टाचार इसके पीछे की बड़ी वजह हो सकती है।

