Haryana News : हरियाणा के पुलिस महकमे ने सड़क हादसों पर लगाम कसने के लिए कमर कस ली है। डीजीपी ओपी सिंह ने सीधे केंद्र के सड़क परिवहन मंत्रालय और प्रदेश के पीडब्ल्यूडी को चिट्ठी लिखकर चेतावनी दी है – “251 ब्लैक स्पॉट्स पर अभी भी काम अटका पड़ा है, अगर जल्दी सुधार नहीं हुआ तो और कितनी लाशें गिरेंगी?”
ये हैं वो खतरनाक मोड़ जहाँ हर दिन दम तोड़ रही जिंदगियाँ
पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग की संयुक्त टीम ने 2019 से 2024 तक 474 ब्लैक स्पॉट्स चिह्नित किए। अच्छी बात ये कि 223 जगहों पर काम पूरा हो चुका है, लेकिन 251 जगहों पर अभी भी खतरा बरकरार है। सबसे ज्यादा लंबित स्पॉट फरीदाबाद (28), गुरुग्राम (25), सोनीपत (21), पलवल (20), करनाल (20) और पानीपत (15) में हैं।
डीजीपी ने लिखा, “इन जगहों पर सड़क चौड़ीकरण, साइन बोर्ड, स्पीड ब्रेकर, सर्विस रोड और स्ट्रीट लाइट का काम लटका हुआ है। इंजीनियरिंग में देरी की वजह से हर दिन कोई न कोई बेवक्त काल के गाल में समाता है।”

इस साल 4000 से ज्यादा लोग सड़क पर गँवा चुके जान
ओपी सिंह पहले भी सड़क हादसों में हुई 4 हजार मौतों पर आँखें नम कर चुके हैं। उन्होंने साफ कहा, “हरियाणा पुलिस सिर्फ लाठी-गोली तक सीमित नहीं है। हमारा फर्ज है कि सड़क पर हर नागरिक सुरक्षित घर लौटे।”
घायलों के लिए सरकार की खास योजना
राज्य सरकार ने हादसे के शिकार लोगों के लिए 1.5 लाख तक का कैशलेस इलाज फ्री कर रखा है। गोल्डन ऑवर में इलाज मिल जाए तो कई जिंदगियाँ बच सकती हैं। 2020 से 2025 तक कुल 413 ब्लैक स्पॉट्स चिह्नित हुए, जिनमें से 183 पर अभी भी काम चल रहा है।
DGP का सीधा संदेश: “हर जीवन अनमोल है”
अपने पत्र में डीजीपी ने केंद्र के सचिव वी उमाशंकर और पीडब्ल्यूडी के एसीएस अनुराग अग्रवाल से गुजारिश की है कि NHAI और प्रोजेक्ट यूनिट्स को सख्त हिदायत दी जाए। “समयबद्ध सुधार से न सिर्फ हादसे रुकेंगे बल्कि मौत का आँकड़ा भी 50 फीसदी तक कम हो सकता है।”
ओपी सिंह ने बताया, “ये हमारी ‘प्रीवेंटिव पुलिसिंग’ का हिस्सा है। डेटा देखो, विभाग मिलकर काम करो, तकनीक लगाओ – और सड़क को मौत का रास्ता बनने से रोको।”
अब देखना ये कि सरकार कब तक जागती है
हरियाणा पुलिस ने गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। अगर जल्दी एक्शन नहीं हुआ तो आने वाले त्योहारों में फिर खून से सनी सड़कें देखने को मिलेंगी। सवाल ये है – कितने और खत लिखने पड़ेंगे तब जाकर ब्लैक स्पॉट्स पर लाइट जलेंगी?
