Haryana News: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की कथित खुदकुशी मामले में CBI जांच की मांग वाली जनहित याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि मौजूदा जांच में न तो कोई ढिलाई हुई है और न ही देरी। इसलिए केंद्रीय एजेंसी को सौंपने का कोई मतलब नहीं बनता।
कोर्ट ने याचिका को बताया बेबुनियाद
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “हमें ऐसा कुछ नहीं दिख रहा कि जांच में कोई लापरवाही या देरी हुई हो। SIT दिन-रात काम कर रही है। ऐसे में CBI को जांच देने का कोई आधार नहीं बनता।”
कोर्ट ने याचिकाकर्ता नवनीत कुमार की दलील को भी खारिज कर दिया कि ये जनहित का मामला है। बेंच ने पूछा, “याचिकाकर्ता ने ये कैसे साबित किया कि ये पब्लिक इंटरेस्ट है? सिर्फ अखबार पढ़कर याचिका दाखिल करना काफी नहीं होता।”
SIT ने अब तक क्या-क्या किया?
यूटी प्रशासन की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अमित झांजी ने कोर्ट को विस्तार से बताया कि 9 अक्टूबर को FIR दर्ज होने के महज चार दिन बाद ही याचिका दाखिल कर दी गई थी। झांजी ने कहा, “14 लोग आरोपी बनाए जा चुके हैं, 22 गवाहों के बयान हो चुके हैं। पूरा CCTV फुटेज सुरक्षित है और 21 सबूत FSL भेजे जा चुके हैं।”
उन्होंने ये भी खुलासा किया कि IG रैंक के आईपीएस अधिकारी की अगुवाई में 14 सदस्यीय SIT बनी है, जिसमें तीन और आईपीएस अफसर और तीन DSP शामिल हैं। टीम रोजाना जांच कर रही है। कोर्ट ने इसे देखते हुए कहा कि जांच पूरी तरह पारदर्शी और तेजी से चल रही है।
याचिकाकर्ता की दलील हुई कमजोर
याचिकाकर्ता नवनीत कुमार (लुधियाना निवासी) ने दावा किया था कि जांच करने वाले एक अफसर ने भी खुदकुशी कर ली थी, इसलिए मामला गंभीर है। उन्होंने कहा, “वरिष्ठ IAS-IPS अफसर उत्पीड़न के आरोप लगा रहे हैं, कई खुदकुशी कर रहे हैं। ये समाज के लिए खतरे की घंटी है। CBI से निष्पक्ष जांच जरूरी है।”
मुख्य न्यायाधीश ने तपाक से जवाब दिया, “सुप्रीम कोर्ट ने किन परिस्थितियों में CBI जांच का आदेश दिया है? इसके लिए असाधारण हालात चाहिए। यहां ऐसा कुछ नहीं है। सिर्फ भावनात्मक दलीलें काफी नहीं।”
कोर्ट का साफ संदेश – बिना सबूत के CBI नहीं
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि CBI जांच तभी दी जाती है जब जांच में राजनीतिक दखल, पक्षपात या गंभीर लापरवाही साबित हो। इस केस में ऐसा एक भी सबूत नहीं मिला। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए यूटी प्रशासन की SIT पर भरोसा जताया।
इस फैसले के बाद पुलिस महकमे में राहत की लहर है।
सूत्रों का कहना है कि SIT अब और तेजी से चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है। क्या वाकई ये खुदकुशी थी या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश? अब सबकी नजरें SIT की अगली रिपोर्ट पर टिकी हैं।
