हरियाणा के दूध उत्पादकों की किस्मत बदलने वाला कदम: बावल में बनेगा प्रदेश का सबसे आधुनिक और सबसे बड़ा वीटा मिल्क प्लांट!

Priyanshi Rao
हरियाणा के दूध उत्पादकों की किस्मत बदलने वाला कदम: बावल में बनेगा प्रदेश का सबसे आधुनिक और सबसे बड़ा वीटा मिल्क प्लांट!

चंडीगढ़/रेवाड़ी। हरियाणा के पशुपालकों और दूध उत्पादक किसानों के लिए खुशखबरी है। प्रदेश में दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (HDDCF) ने बड़ा फैसला लिया है। रेवाड़ी जिले के बावल में 16 एकड़ जमीन पर प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे हाई-टेक मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट बनाया जाएगा, जो पूरी तरह स्काडा (SCADA) तकनीक से संचालित होगा।

यह प्लांट शुरू होते ही हरियाणा के दूध उत्पादन के इतिहास में नया अध्याय जुड़ जाएगा। अभी तक प्रदेश में छह वीटा मिल्क प्लांट चल रहे हैं, लेकिन नया प्लांट तकनीकी रूप से सबसे आगे होगा। सूत्रों के मुताबिक इस प्लांट की क्षमता इतनी बड़ी होगी कि आस-पास के सैकड़ों गांवों के पशुपालकों का दूध सीधे यहीं आएगा और उन्हें बेहतर दाम मिल सकेंगे।

1970 से चला आ रहा सफर, अब नई ऊंचाई छूने की तैयारी

हरियाणा में वीटा मिल्क प्लांट की शुरुआत 1970-72 में जींद से हुई थी। उस वक्त डेढ़ लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला प्लांट किसानों के लिए किसी सपने से कम नहीं था। इसके बाद 1973-74 में अंबाला सिटी में दूसरा प्लांट लगा, जिसकी क्षमता 1.40 लाख लीटर रोज थी। 1976-77 में रोहतक में तीसरा प्लांट शुरू हुआ जो आज भी सबसे ज्यादा 4 लाख लीटर दूध रोज प्रोसेस करता है।

फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में 1979-80 में चौथा, सिरसा में 1996-97 में पांचवां और कुरुक्षेत्र में 2014-15 में छठा प्लांट लगा। कुरुक्षेत्र वाला प्लांट अभी सबसे छोटा है – सिर्फ 20 हजार लीटर प्रतिदिन। इन सबके बीच अब बावल का नया प्लांट जब चालू होगा तो पुराने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो जाएंगे।

SCADA तकनीक क्या है और पशुपालकों को इससे क्या फायदा?

SCADA यानी Supervisory Control and Data Acquisition। आसान भाषा में समझें तो यह एक ऐसा कंप्यूटर सिस्टम है जो पूरे प्लांट को रिमोट से कंट्रोल करता है। दूध की क्वालिटी चेक करना, तापमान कंट्रोल करना, पैकिंग से लेकर स्टोरेज तक – सब कुछ ऑटोमैटिक और रियल टाइम डेटा के साथ होगा। इससे न सिर्फ बिजली-पानी की बर्बादी रुकेगी, बल्कि दूध की शुद्धता भी बनी रहेगी।

जानकारों का कहना है कि इस तकनीक से प्लांट की लागत तो बढ़ेगी, लेकिन लंबे समय में किसानों को ज्यादा फायदा होगा क्योंकि दूध खराब होने का डर खत्म हो जाएगा और मार्केट में वीटा की ब्रांड वैल्यू और मजबूत होगी।

गांव-गांव तक पहुंचेगा फायदा, रोजगार भी बढ़ेगा

बावल और आसपास के इलाके – कोसली, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नारनौल तक के पशुपालक सबसे ज्यादा खुश हैं। अभी उन्हें दूध बेचने के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है। नया प्लांट शुरू होते ही उनके घर के पास ही कलेक्शन सेंटर बन जाएंगे। साथ ही प्लांट में सैकड़ों नौजवानों को सीधे-परोक्ष रोजगार मिलेगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह सिर्फ एक प्लांट नहीं, हरियाणा के दुग्ध क्रांति का अगला पड़ाव है। आने वाले दो-तीन साल में प्रदेश का दूध उत्पादन और निर्यात दोनों कई गुना बढ़ जाएगा।”

पशुपालक भाई-बहन अब बस इंतजार कर रहे हैं कि कब यह प्लांट शुरू हो और उनकी मेहनत को सही दाम मिले। वीटा की इस नई पहल से लगता है कि हरियाणा का दूध फिर से देशभर में छा जाएगा।

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प्रियांशी राव एक समर्पित पत्रकार हैं जो हरियाणा राज्य से जुड़ी खबरों को कवर करती हैं। उन्होंने पत्रकारिता में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। वर्तमान में एनएफएलस्पाइस न्यूज़ के लिए काम करती हैं। एनएफएलस्पाइस न्यूज़ से जुड़े होने के अलावा, उन्हें प्रमुख मीडिया समूहों के साथ काम करने का अनुभव भी है। कृषि क्षेत्र में उनकी पृष्ठभूमि किसानों से संबंधित उनके लेखों को काफी प्रामाणिक बनाती है।