कुरुक्षेत्र (हरियाणा) दो साल पहले अमरीका का सपना लेकर घर से निकला सोनू कल रात अपने गांव लौटा तो पैरों में बेड़ियां थीं। हाथकड़ी लगी हुई थी और साथ में गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई को भी डिपोर्ट करके लाया गया था प्लेन। परिवार वाले रोते-बिलखते उसे देखते रह गए। जो लड़का 75 लाख रुपए लेकर “अमरीका पहुंचा देंगे” वाले एजेंट के झांसे में आया था, वो आज टूटा-फूटा सा घर लौटा है।
स्पेन की बजाय उतारा जंगल में
सोनू ने आज मीडिया वालों से जो कुछ बताया, वो सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 2023 में घर से निकला था। एजेंट ने कहा था – डायरेक्ट अमरीका। लेकिन प्लेन ने स्पेन में उतार दिया। वहां से शुरू हुआ असली नरक।
सर्बिया के घने जंगलों में डॉकरों ने बंधक बना लिया। पासपोर्ट, फोन, डॉलर – सब छीन लिए। माइनस 2 डिग्री में गीले कपड़ों में रात काटनी पड़ती थी। बात करने की हिम्मत करते तो बंदूक के बट मारते। पांच-पांच दिन में एक बार सूखी ब्रेड मिलती, वो भी अगर किस्मत अच्छी हो।
“रात को ठंड इतनी कि लगता था अब मर जाएंगे। एक-दूसरे से लिपट कर सोते थे। डॉकर आपस में ही झगड़ते और गोलीबारी शुरू हो जाती। किसी का ग्रुप किसी का छीन लेता। फिर घर वालों से फिरौती मांगते,” सोनू ने फटी आवाज में बताया।
बॉर्डर पर दो तरफा फायरिंग
एक महीने बाद किसी तरह जंगल पार किया। सर्बिया का बॉर्डर पार करते वक्त आर्मी ने फायरिंग शुरू कर दी। एक तरफ आर्मी की गोलियां, दूसरी तरफ डॉकर जवाबी फायरिंग कर रहे थे। सोनू बोला, “बस सर झुकाकर भागते रहे, पता नहीं कैसे बच गए।”
फिर आर्मेनिया पहुंचे तो वहां पुलिस ने पकड़ लिया। दो-तीन दिन मारा-पीटा। फिर घूस लेकर कोई कार्ड बनाकर छोड़ दिया। उसके बाद फिर पैदल, फिर ट्रक, फिर रेगिस्तान। एक साल की भटकन के बाद आखिरकार अमरीकी दीवार पार की। अमरीका पहुंच तो गए, लेकिन वहां छह महीने जेल काटी और अब डिपोर्ट।
पिता बोले – जमीन बेचकर भेजा था
सोनू के पिता सत्यवान के आंसू नहीं रुक रहे। कहते हैं, “जमीन बेची, कर्ज लिया, बेटा खुशहाल रहेगा सोचकर भेजा। आज वो बेड़ियां डालकर लौटा। एजेंट के खिलाफ थाने में शिकायत दे रखी है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।”
गांव में ये खबर फैलते ही लोग घर के बाहर जमा हो गए। कोई कह रहा था – फिर भी लोग जाएंगे। कोई चुपचाप सर हिला रहा था। सपना तो सपना ही रह गया, बस कीमत बहुत भारी चुकानी पड़ी।
डंकी रूट का ये सच एक और बार सबके सामने है – जो गए, वो या तो लापता हैं, या लौट आए तो टूटकर।
