चंडीगढ़/करनाल। हरियाणा में अब यूरिया या डीएपी लेने जाएं तो कोई डीलर या कोऑपरेटिव वाला जबरन जिंक, पोटाश, कीटनाशक या कोई और सामान साथ में ठूंसने की कोशिश करे तो सीधे उसका लाइसेंस जा सकता है, एफआईआर भी कटेगी। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने साफ-साफ चेतावनी दे दी है कि ऐसा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
मंत्री ने अधिकारियों-डीलरों को लगाई फटकार
बुधवार को चंडीगढ़ में कृषि अधिकारियों की बैठक में राणा ने सख्त लहजे में कहा कि किसान को सिर्फ वही सामान मिले जिसकी उसे जरूरत है। “अगर डीएपी के साथ कीटनाशक या जिंक जबरन थोपने की शिकायत आई तो तुरंत एक्शन होगा, चाहे सरकारी अधिकारी हो या प्राइवेट डीलर।”
उन्होंने साफ किया कि पहले भी इस बारे में स्पष्ट गाइडलाइंस जारी हो चुकी हैं, अब कोई बहाना नहीं चलेगा।
जिला स्तर पर तुरंत जांच के आदेश
सभी जिला कृषि उपनिदेशकों को निर्देश दे दिए गए हैं कि ऐसी कोई शिकायत मिले तो मौके पर पहुंचो, जांच करो और दोषी पाए गए डीलर का लाइसेंस तुरंत सस्पेंड कर दो। जरूरत पड़ी तो मुकदमा भी दर्ज करो।
इसके लिए अलग से मॉनिटरिंग टीमें सक्रिय कर दी गई हैं। मंत्री ने बताया कि हाल ही में कुछ जिलों से ऐसी शिकायतें आई थीं, उन पर तुरंत कार्रवाई हुई – दो डीलरों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए और एफआईआर भी दर्ज हुई।
किसानों से अपील – शिकायत करो, डरने की जरूरत नहीं
राणा ने किसानों से सीधा संदेश दिया, “अगर कोई दबाव डाले तो चुप मत बैठना। टोल-फ्री नंबर पर फोन करो या जिला कृषि दफ्तर में शिकायत लिखवा दो। आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी।”
उन्होंने कहा कि किसान पहले से परेशान हैं, ऊपर से जबरन सामान थोपना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्टॉक की कोई कमी नहीं, कालाबाजारी पर भी लगाम
अच्छी बात ये है कि रबी सीजन के लिए हरियाणा में डीएपी और यूरिया का भरपूर स्टॉक है। सभी जिलों में बफर भी तैयार रखा गया है।
वितरण पैक्स, प्राइवेट डीलर और मार्केटिंग बोर्ड के केंद्रों से हो रहा है। पीओएस मशीन पर बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन की वजह से कालाबाजारी पर भी पहले से काफी लगाम लगी है।
कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मंत्री जी इस बार बहुत सख्त मूड में हैं। “पहले चेतावनी दी जाती थी, अब डायरेक्ट एक्शन हो रहा है। कुछ दिन में और डीलरों की खैर नहीं।”
फिलहाल किसानों को राहत की सांस आई है कि कम से कम उर्वरक लेते वक्त अब कोई उन्हें लूट नहीं सकेगा। बाकी देखना ये है कि जमीनी स्तर पर ये आदेश कितने सख्ती से लागू होते हैं।
