एयर इंडिया की बड़ी चूक: बिना सेफ्टी सर्टिफिकेट महीना भर उड़ता रहा A320, DGCA तक पहुँची रिपोर्ट—कौन ज़िम्मेदार?

Om Prakash
एयर इंडिया की बड़ी चूक: बिना सेफ्टी सर्टिफिकेट महीना भर उड़ता रहा A320, DGCA तक पहुँची रिपोर्ट—कौन ज़िम्मेदार?

दिल्ली। देश की एयरलाइंस में से एक मानी जाने वाली एयर इंडिया पर एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। एयरलाइन के एक Airbus A320 विमान ने पूरे एक महीने तक बिना एयरवर्थनेस रिव्यू सर्टिफिकेट (ARC) के उड़ानें भरीं—वह भी तब, जब हर उड़ान से पहले उसके सुरक्षित होने का प्रमाणित होना अनिवार्य है। अंदरूनी मॉनिटरिंग सिस्टम ने जब इस गड़बड़ी को पकड़ा, तब जाकर मामला उजागर हुआ और तुरंत DGCA को रिपोर्ट भेजी गई।

यह खुलासा सिर्फ एक चूक नहीं, बल्कि ऐसी चूक है जिसने हजारों यात्रियों की सुरक्षा को सवालों के घेरे में ला दिया।

नजरअंदाज कैसे हुआ इतना बड़ा सेफ्टी ब्रेक?

एयर इंडिया की इंटरनल टीम को नवंबर में रूटीन कम्प्लायंस चेक के दौरान पता चला कि A320 विमान बिना वैलिड ARC के लगातार ऑपरेट हो रहा है। ARC वह दस्तावेज होता है जो यह साबित करता है कि विमान

  • उड़ान के लिए फिट है,
  • उसकी सभी मेंटेनेंस एंट्री अपडेट हैं,
  • और वह इंटरनेशनल एविएशन स्टैंडर्ड्स के हिसाब से सुरक्षित है।

यह सर्टिफिकेट सिर्फ एक साल के लिए वैध होता है और इसे समय पर रिन्यू करना हर ऑपरेटर की जिम्मेदारी है।

इसी वजह से जांच का पहला बड़ा सवाल यही है—रिन्यूअल डेट मिस कैसे हो गई और किसने इसे क्लियरेंस दे दिया?

एयर इंडिया ने कड़ी कार्रवाई की, DGCA भी अलर्ट

एयरलाइन ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि

  • इस प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया है,
  • पूरी घटना की हाई-लेवल जांच शुरू कर दी गई है,
  • और DGCA को इसकी जानकारी एयरलाइन ने खुद दी है।

एयरलाइन ने इस बात पर जोर दिया कि गड़बड़ी बाहरी ऑडिट से नहीं, बल्कि इंटरनल मॉनिटरिंग सिस्टम से पकड़ी गई। यह बात कंपनी अब “प्रोएक्टिव ट्रांसपेरेंसी” के तौर पर पेश कर रही है।

लेकिन एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि
“यह मामला सिर्फ एक रिन्यूअल मिस नहीं है, यह एयरसेफ्टी संस्कृति पर सीधा सवाल है। अगर इंटरनल चेक में गलती पकड़ी गई, तो इंटरनल सिस्टम पहले कितनी उड़ानें मिस कर चुका होगा?”

घटना किस विमान में हुई?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला एक Airbus A320 से जुड़ा है, जिसने नवंबर में ARC की अवधि खत्म होने के बावजूद कई कमर्शियल उड़ानें ऑपरेट कीं।
DGCA अब यह जांच कर रहा है कि

  • इन उड़ानों में कितने सेक्टर कवर हुए,
  • क्या मेंटेनेंस लॉग्स अपडेट थे,
  • और क्या किसी पायलट ने प्री-फ्लाइट डॉक्यूमेंटेशन में इस मिसिंग ARC को नोटिस नहीं किया।

एविएशन इंडस्ट्री में हलचल—क्या बदलेगी प्रक्रिया?

यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब भारतीय एविएशन सेक्टर तेज़ी से बढ़ रहा है और दबाव भी उतना ही बढ़ चुका है।
सेफ्टी एनालिस्ट्स का कहना है कि

  • ARC जैसी चूकें अक्सर “रूटीन-में-खोई हुई जिम्मेदारी” का संकेत होती हैं।
  • DGCA एयरलाइन पर पेनल्टी तय कर सकता है,
  • और नियमों की फिर से समीक्षा भी हो सकती है।

कई विशेषज्ञ इस घटना को “सिस्टम फेलियर और सुपरविजन गैप” बताते हैं।

यात्रियों के मन में क्या सवाल?

एयरलाइन भले कह रही है कि यह चूक ऑपरेशनल रिस्क में तब्दील नहीं हुई, लेकिन यात्री समुदाय में चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।

एक फ्रीक्वेंट फ्लायर ने सोशल मीडिया पर लिखा: “अगर ARC जैसी बेसिक चीज चेक नहीं हुई, तो कोई कैसे भरोसा करे कि बाकी चीजें समय पर होती होंगी?”

एयर इंडिया पर अब सिर्फ नियामकीय नहीं, बल्कि विश्वास की लड़ाई भी है।

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ओम प्रकाश एक स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं, जो सच्चाई और पारदर्शिता के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह समसामयिक घटनाओं और सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर लिखती हैं। उनका उद्देश्य पाठकों को पूरी तरह से जाँची-परखी और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना है, ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें। आप उनके काम को फॉलो कर सकते हैं।