Pakistan Politics: पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर सड़क से संसद तक बेचैनी साफ दिखने लगी है। जेल में बंद इमरान खान की आवाज को बाहर की दुनिया तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अब खुलकर खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री मुहम्मद सोहेल अफरीदी ने अपने कंधों पर ले ली है। रविवार को कोहाट में हुई पीटीआई की रैली ने यही संकेत दिया कि पार्टी अब सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं रहना चाहती।
कोहाट की रैली में आम नागरिकों से लेकर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के हजारों समर्थक जुटे। मंच से गूंजता “हकीकी आजादी” का नारा सिर्फ राजनीतिक स्लोगन नहीं था, बल्कि जेल में बैठे इमरान खान के उस संदेश की याद दिला रहा था, जिसे पार्टी कार्यकर्ता अब संघर्ष का आधार मान रहे हैं। अफरीदी ने भीड़ से सीधे शब्दों में कहा कि अगर विरोध का बुलावा आता है तो किसी को भी पीछे नहीं हटना चाहिए। उनका कहना था कि इस बार की लड़ाई समझौतों की नहीं बल्कि अधिकारों की है।
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मुख्यमंत्री ने रैली के दौरान इमरान खान के जेल से दिए गए संदेश का हवाला देते हुए माहौल को और तीखा कर दिया। उन्होंने कहा कि पीटीआई संस्थापक ने साफ कर दिया है कि यह संघर्ष आजादी या मौत का है। अफरीदी के शब्दों में, अगर आंदोलन आगे बढ़ता है तो पार्टी या तो कफन में लौटेगी या आजादी लेकर। इस बयान ने साफ कर दिया कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की राजनीति और ज्यादा तनावपूर्ण हो सकती है।
अफरीदी ने यह भी खुलासा किया कि इमरान खान ने सरकार से बातचीत या बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन जैसे अहम फैसलों की जिम्मेदारी पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी के चेयरमैन महमूद खान अचकजई और सीनेटर अल्लामा राजा नासिर अब्बास को सौंपी है। ये दोनों नेता विपक्षी गठबंधन तहरीक-ए-तहफ्फुज-ए-आईन-ए-पाकिस्तान का हिस्सा हैं और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की अगुवाई कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि वह खुद उनसे मुलाकात कर चुके हैं और हर तरह के सहयोग का भरोसा दे चुके हैं।
पीटीआई नेताओं का मानना है कि मौजूदा सत्ता तंत्र और संस्थान पार्टी को हाशिये पर धकेलना चाहते हैं। इसी भावना के साथ अफरीदी का आक्रामक तेवर लगातार चर्चा में है। हालात तब और गरमा गए जब अदियाला जेल प्रशासन ने लगातार दसवीं बार इमरान खान से मिलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री जब जेल पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें साफ कह दिया कि मुलाकात संभव नहीं है। इस घटनाक्रम ने पीटीआई समर्थकों के बीच नाराजगी और असंतोष को और हवा दे दी है।
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कोहाट की रैली और अफरीदी के तीखे संदेश ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान की राजनीति एक बार फिर निर्णायक मोड़ की तरफ बढ़ रही है, जहां जेल की दीवारों के भीतर से उठी आवाज सड़कों पर गूंजने की तैयारी में है।
