हरियाणा, 14 अक्टूबर 2025: हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की कमी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खासकर कनीना उपमंडल में डीएपी की सप्लाई अब तक नहीं पहुंची है, जिससे किसानों में रोष बढ़ रहा है। दूसरी ओर, सरकार ने उर्वरक वितरण के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिसके तहत अब केवल ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकृत किसान ही उर्वरक खरीद सकेंगे। इस नए नियम ने किसानों के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
डीएपी वितरण में देरी से कनीना में खाली हाथ किसान
हैफेड प्रबंधक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि महेंद्रगढ़ में उनके कार्यालय को 1800 बैग डीएपी की खेप मिली थी जिसका वितरण शुक्रवार और शनिवार को दो दिनों में पूरा कर लिया गया। लेकिन कनीना उपमंडल की छह पैक्स (किसान सहकारी समितियों) को अभी तक एक भी बैग डीएपी नहीं मिला है। स्थानीय किसानों का कहना है कि वे पैक्स कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन खाद की अनुपलब्धता के कारण उनके हाथ खाली हैं।
किसान जसवंत सिंह ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा:
“हम कई दिनों से पैक्स के दफ्तर जा रहे हैं, लेकिन हर बार निराशा ही मिलती है। बुआई का समय चल रहा है, और डीएपी के बिना फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है।”
इसी तरह, दिनेश कुमार, मनोज कुमार, सुरेश कुमार और महेंद्र सिंह जैसे अन्य किसानों ने भी डीएपी की कमी को लेकर गहरी नाराजगी जताई।
पैक्स प्रबंधक ने बताई लाइसेंस की समस्या
कनीना की पैक्स समितियों के प्रबंधक कृष्ण कुमार ने बताया कि उनकी संस्था का लाइसेंस अभी प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा:
“लाइसेंस मिलते ही डीएपी की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। हम किसानों से थोड़ा धैर्य रखने की अपील करते हैं।”
हालांकि बुआई के मौसम में यह देरी किसानों के लिए बड़ा झटका साबित हो रही है।
‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल से नया नियम लागू
हरियाणा सरकार ने उर्वरक वितरण को पारदर्शी बनाने के लिए ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा‘ पोर्टल को अनिवार्य कर दिया है। अब केवल पंजीकृत किसान ही डीएपी और अन्य उर्वरक खरीद सकेंगे। इस कदम का उद्देश्य असली किसानों तक खाद पहुंचाना और कालाबाजारी रोकना है। लेकिन कई किसानों का कहना है कि इस नए नियम ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं क्योंकि पंजीकरण प्रक्रिया में समय लग रहा है।
किसानों की मांग, जल्द हो सप्लाई
किसानों ने मांग की है कि सरकार डीएपी की आपूर्ति जल्द से जल्द सुनिश्चित करे और पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाए। वे कहते हैं कि खेती का मौसम इंतजार नहीं करता और डीएपी की कमी से उनकी फसल और आजीविका दोनों खतरे में हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को डीएपी की कमी को तुरंत दूर करने और वितरण प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही किसानों को नए नियमों के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाने चाहिए।

