शिमला। हिमाचल प्रदेश की सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल शुरू की है। अब ग्रामीण किसानों से खरीदे गए प्राकृतिक गेहूं को हिमभोग ब्रांड नाम से आटा और दलिया के रूप में बाजार में उतारा जाएगा। यह कदम न सिर्फ किसानों को बेहतर कमाई देगा, बल्कि लोगों को रसायन मुक्त उत्पाद भी उपलब्ध कराएगा। सरकार ने इन उत्पादों के दाम तय कर दिए हैं, जो राशन डिपो के माध्यम से बेचे जाएंगे।
प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा
हिमाचल सरकार प्राकृतिक तरीके से उगाए गए गेहूं को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय है। कृषि विभाग के सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में हिमभोग प्राकृतिक गेहूं आटा और दलिया के दाम तय किए गए। यह पहली बार है जब सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्राकृतिक गेहूं की खरीद की है। इससे किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल रहा है और पर्यावरण अनुकूल खेती को प्रोत्साहन मिलेगा।
किसानों से खरीद और समर्थन मूल्य की व्यवस्था
इस साल 838 किसानों से कुल 2123 क्विंटल प्राकृतिक गेहूं 60 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा गया। सरकार ने इन किसानों के बैंक खातों में 1.31 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए, जिसमें परिवहन के लिए 4.15 लाख रुपये का सब्सिडी भी शामिल है। सामान्य रसायनिक गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य जहां 24.25 रुपये प्रति किलो है, वहीं प्राकृतिक गेहूं के लिए यह 60 रुपये रखा गया है। यानी प्रति किलो 35.75 रुपये का फायदा किसानों को हो रहा है।
उत्पादों की कीमत और उपलब्धता
हिमभोग ब्रांड के तहत प्राकृतिक गेहूं का आटा 100 रुपये प्रति किलो और दलिया 115 रुपये प्रति किलो में बेचा जाएगा। ये उत्पाद मुख्य रूप से शहरी इलाकों के राशन डिपो में उपलब्ध होंगे। इससे पहले सरकार हिमभोग प्राकृतिक मक्की आटा बेच चुकी है, और अब गेहूं उत्पादों को शामिल कर रही है। यह योजना लोगों को स्वस्थ और प्राकृतिक विकल्प प्रदान करेगी।
आगामी योजनाएं और लाभ
सरकार की यह पहल किसानों को बेहतर दाम दिलाने में मदद करेगी। इसके अलावा, पांगी क्षेत्र के किसानों से सितंबर के अंत में प्राकृतिक जौ की 40 टन खरीद 60 रुपये प्रति किलो की दर से की जाएगी। कुल मिलाकर, यह कदम प्राकृतिक खेती को मजबूत बनाएगा और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद देगा।
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