मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सरकार से पैक्ड आटा, मैदा और सूजी पर लगने वाले 5% जीएसटी को हटाने की मांग की है. फेडरेशन के प्रमुख रमेश गुप्ता का कहना है कि रोटी, परांठा और खाखरा जैसे प्रोडक्ट्स पर जीएसटी हटने के बाद अब बारी आटा-मैदा जैसे जरूरी सामानों की है. अगर सरकार ये टैक्स हटाती है तो आम लोगों को सस्ता आटा मिलेगा और खाद्य उद्योग को भी फायदा होगा.
गेहूं की कीमतों का मौजूदा हाल
पंजाब और मध्य प्रदेश में हाल की बारिश ने खुले में रखे गेहूं के स्टॉक को थोड़ा प्रभावित किया है, लेकिन चिंता की बात नहीं है. सरकारी गोदामों में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. जरूरत पड़ने पर सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं की सप्लाई बढ़ा सकती है. वर्तमान में गेहूं की कीमत ₹2700 प्रति क्विंटल के आसपास है. विशेषज्ञों का मानना है कि फेस्टिवल सीजन की बढ़ती मांग के कारण दिवाली तक कीमतें ₹2850 से ₹2950 प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती हैं.
फेस्टिवल सीजन में बढ़ेगी डिमांड
त्योहारी सीजन में सूजी और मैदा की मांग में तेजी की उम्मीद है. मिठाइयों और स्नैक्स की बढ़ती खपत के चलते खाद्य कंपनियों के लिए ये समय फायदेमंद हो सकता है. अगर जीएसटी हटता है तो FMCG कंपनियों को लागत में कमी आएगी जिसका फायदा ग्राहकों को भी मिल सकता है.
आम लोगों पर इसका क्या असर होगा?
अगर सरकार जीएसटी हटाने का फैसला लेती है तो आटा, मैदा और सूजी सस्ते हो सकते हैं. इससे आम परिवारों का किचन बजट कम होगा और त्योहारों के दौरान खर्च में राहत मिलेगी. साथ ही खाद्य कंपनियों के शेयरों में भी तेजी देखने को मिल सकती है. इसके अलावा गेहूं से बनने वाले सभी उत्पाद भी काफी सस्ते हो जायेगा जिसकी वजह से भी लोगों को काफी सस्ते में चीजें मिलने लगेंगी.
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