गुड गवर्नेंस डे पर 5 डिजिटल सुधारों का ऐलान! AI भर्ती टूल से e-HRMS 2.0 तक, प्रशासन में 5 डिजिटल सुधार लॉन्च
केंद्र सरकार ने गुड गवर्नेंस डे पर पांच डिजिटल सुधार लॉन्च किए, जिनमें AI Recruitment Tool, e-HRMS 2.0 ऐप और Karmayogi Lab 2.0 शामिल हैं। उद्देश्य प्रशासन को अधिक पारदर्शी, तेज और नागरिक-केंद्रित बनाना है।
- केंद्र में डिजिटल सुधारों की नई लहर, 5 पायदान पर प्रशासनिक बदलाव
- तकनीक आधारित उपकरणों से भर्ती और मानव संसाधन प्रबंधन में पारदर्शिता
- नागरिक सेवाओं को केंद्र में रखते हुए शासन प्रणाली में सुधार
- दशकों पुरानी अड़चनों को हटाकर जवाबदेही और दक्षता बढ़ाई
नई दिल्ली: देश भर में आज गुड गवर्नेंस डे के अवसर पर केंद्र सरकार ने प्रशासनिक पारदर्शिता और नागरिक-केन्द्रित सेवाओं को और अधिक सशक्त बनाने के लिए पाँच नए डिजिटल सुधारों की घोषणा की। इन पहलों को ऐसे समय में पेश किया गया है जब सरकारी सेवाओं को सरल, तेज और तकनीक-आधारित बनाने का दावा लगातार किया जा रहा है।
इन पाँच प्रमुख पहलों में ‘Ex-Servicemen Reservation Compendium’ यानी पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण की जानकारी एकीकृत रूप से उपलब्ध कराने वाला प्लेटफॉर्म शामिल है जो सेवा समाप्त कर चुके जवानों को अपनी पात्रता और अधिकारों के बारे में एक ही जगह पूरी तस्वीर देगा।
सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने के लिए ‘AI Recruitment Tool’ को भी लांच किया गया है। इसका उद्देश्य चयन प्रक्रियाओं को निष्पक्ष, तेज और दक्ष बनाने के साथ मानवीय पक्षपात को कम करना है।
मानव संसाधन प्रबंधन में एक नई दिशा देने के लिए ‘e-HRMS 2.0 App’ को पेश किया गया है। यह मोबाइल-आधारित एप अब कर्मचारियों को उनके सौदे, सेवाशर्तों, अवसरों और अपडेट्स तक सीधा पहुँच देगा जिससे प्रशासनिक फैसले और मानव संसाधन से जुड़ी जानकारी और सुलभ होगी।
साथ ही, सरकारी कर्मचारियों के कौशल विकास को ध्यान में रखते हुए ‘iGOT AI Platforms’ और ‘Karmayogi Digital Learning Lab 2.0’ को भी शामिल किया गया है। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिये तकनीक-आधारित सीखने और प्रशिक्षण की पहुंच को व्यापक किया जाएगा, ताकि आज के डिजिटल युग की मांगों के अनुरूप सरकारी सेवाएँ और अधिक सक्षम हों।
तकनीक के दम पर नागरिक-केन्द्रित शासन
सरकार ने इन पहलों को एक समग्र, भविष्य-उन्मुख रणनीति के हिस्से के रूप में बताया है। इसका उद्देश्य केवल कागजी सुधार करना नहीं, बल्कि तकनीक का उपयोग करते हुए सेवाओं को नागरिकों के लिए अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाना है। अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल साधनों से न केवल प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि जवाबदेही भी बढ़ेगी।
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पिछले एक दशक में ‘गुड गवर्नेंस’ के विचार को देश में व्यवहारिक रूप देने की कोशिशों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा गया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस विजन को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसमें प्रशासन को जनता-केन्द्रित, सहज और तकनीक-सक्षम बनाया जाना था।
पुराने बोझ को हटाकर नई राह
2014 में सरकार के सत्ता में आने के बाद से “मिनीमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस” के मंत्र के तहत कई पुरानी और जटिल प्रक्रियाओं को हटाया गया। इसमें सबसे पहले उन नियमों को समाप्त करना शामिल था जिनके चलते सरकारी दस्तावेज़ों पर गैज़टेड अधिकारी से सत्यापन करवाना अनिवार्य था। इसी तरह, साक्षात्कार को भर्ती प्रक्रिया से हटाकर लिखित परीक्षा को मेरिट का आधार बनाया गया।
आज तक 1600 से अधिक ऐसे obsolete नियम समाप्त किये जा चुके हैं, जिनमें एक नियम भी शामिल था जो तलाकशुदा बेटी को पारिवारिक पेंशन तभी देने की शर्त रखता था जब उसके पास अदालत से तलाक का निर्णय हो। ऐसे कई नियमों को हटाकर शासन को लोगों के मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाने का प्रयास किया गया है।
विश्वस्तरीय सेवाएं
इस मंत्रालय की कई पहलें पहले ही वैश्विक स्तरीय मानकों के रूप में देखि जा चुकी हैं। बुजुर्ग पेंशनभोगियों के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की शुरुआत, चेहरे से पहचान तकनीक का उपयोग और शिकायतों के निवारण के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल तैयार करना इनमें शामिल हैं।
इन नीतियों का कुल प्रभाव नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों दोनों के अनुभव को बेहतर बनाना रहा है। अब इन नई डिजिटल पहलों के साथ यह कोशिश और तेज़ होगी कि सरकारी सेवाएँ और अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी और समय की मांग के अनुरूप बनें।
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