आयुष्मान कार्ड: हर साल रिन्यू करवाना जरूरी है? सरकार ने बताया असली सच, जानिए पूरी जानकारी
आयुष्मान कार्ड को हर साल रिन्यू कराने की जरूरत नहीं है। एक बार बनवाने के बाद यह हर वित्तीय वर्ष अपने-आप सक्रिय होता रहता है। पात्रता बनी रहने तक पांच लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज सुविधा जारी रहती है। पूरी जानकारी यहां पढ़ें।
- आयुष्मान कार्ड रिन्यू कराने की जरूरत नहीं
- हर साल अपने-आप एक्टिव रहता है कार्ड
- 5 लाख का इलाज बिना फीस, बिना रिन्यूअल
- पात्रता बदली तो रुक सकती है सुविधा
Ayushman Card: देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को लेकर एक बड़ा भ्रम अब भी लोगों में मौजूद है। लाखों परिवार यह मानते हैं कि उन्हें आयुष्मान कार्ड हर साल रिन्यू करवाना जरूरी है वरना इलाज की सुविधा बंद हो जाएगी। लेकिन असल सच इससे बिल्कुल अलग है और यही वजह है कि आज सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं के महंगे होते दौर में सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पांच लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज सुविधा देकर एक बुनियादी सुरक्षा कवच दिया है। देशभर के चिन्हित अस्पतालों में बिना पैसा दिए इलाज की सुविधा इस कार्ड के जरिए मिलती है और कई मामलों में ये जीवनरक्षक साबित हुआ है।
क्या कार्ड हर साल रिन्यू होता है? सच क्या है
यही वह सवाल है जिसने सोशल मीडिया और ग्रामीण इलाकों में गलतफहमी फैला दी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि आयुष्मान कार्ड एक बार बनवाने के बाद हर वित्तीय वर्ष अपने-आप सक्रिय रहता है। किसी तरह की फीस, आवेदन या रिन्यूअल की जरूरत नहीं पड़ती। सरकार हर साल उपचार की सीमा को पांच लाख रुपये के साथ रिफ्रेश कर देती है ताकि लाभार्थी इलाज करवा सकें।
कब रुक सकती है सुविधा?
आयुष्मान कार्ड की वैधता पूरी तरह पात्रता पर टिकी है। अगर समय के साथ किसी परिवार की आर्थिक स्थिति बदल जाती है और वह योजना की शर्तों में फिट नहीं बैठता, तो लाभ बंद हो सकता है। यही वजह है कि डेटा की समय-समय पर जांच होती है और सूची अपडेट होती रहती है।
कार्ड बनवाने की आसान प्रक्रिया
जिन लोगों के पास अभी तक आयुष्मान कार्ड नहीं है, वे नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर पहचान सत्यापन के साथ इसे बनवा सकते हैं। मोबाइल ऐप और आधिकारिक वेबसाइट के जरिए भी पात्रता चेक करके कार्ड जेनरेट किया जा सकता है। सरकारी अस्पतालों में भी हेल्पडेस्क उपलब्ध रहती हैं।
इलाज का भरोसा: बिना कैश बिल वाले अस्पतालों का अनुभव
कई परिवार बताते हैं कि कार्ड दिखाते ही अस्पतालों में कैशलेस इलाज शुरू हो जाता है। सर्जरी, टेस्ट, दवाइयां और भर्ती का पूरा खर्च सरकार वहन करती है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में योजना का उपयोग तेजी से बढ़ा है।
सरकार का दावा है कि आने वाले समय में इसमें और सुविधाएं जुड़ेंगी, हालांकि बढ़ती संख्या के साथ अस्पतालों पर दबाव और हेल्पडेस्क की कमी जैसी चुनौतियाँ अभी भी सामने हैं। लेकिन इतना साफ है कि जब तक पात्रता बनी रहेगी, आयुष्मान कार्ड बिना रिन्यूअल के ही हर साल सक्रिय होता रहेगा।
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