PMGSY के 25 साल: 7.87 लाख KM सड़कें बनीं, अब 70 हजार करोड़ से Phase-4 में जुड़ेंगे 25,000 गांव

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 2025 में 25 वर्ष पूर्ण कर चुकी है। 8.25 लाख किमी में से 7.87 लाख किमी सड़कें बन चुकी हैं। चौथे चरण में 70,125 करोड़ से 25,000 गांवों को जोड़ा जाएगा। डिजिटल मॉनिटरिंग से बढ़ी पारदर्शिता।

  • 2025 में 25 वर्ष का सफर पूरा
  • 70,125 करोड़ के बजट से चौथा चरण शुरू
  • डिजिटल निगरानी से पारदर्शिता
  • Quality पर खास फोकस

25 years of PMGSY (NFLSpice News): भारत के ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने वाली एक महत्वाकांक्षी योजना इस साल अपनी रजत जयंती मना रही है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना यानी PMGSY ने 2025 में 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं और इस यात्रा में इसने देश के ग्रामीण परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है।

गुरुवार को जारी एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि दिसंबर 2025 तक इस योजना के तहत कुल 8,25,114 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें से 7,87,520 किलोमीटर सड़कें बनकर तैयार हो चुकी हैं जो लगभग 95 फीसदी भौतिक प्रगति को दर्शाता है।

ग्रामीण जीवन में क्रांति का माध्यम

जब इस योजना की शुरुआत हुई थी तब इसका मकसद साफ था – हर उस गांव को पक्की सड़क से जोड़ना जो अब तक मुख्यधारा से कटा हुआ था। बरसात में कीचड़ भरी पगडंडियों पर चलना, बीमारी में अस्पताल न पहुंच पाना, फसल को बाजार तक न ले जा पाना – ये सब समस्याएं थीं जो ग्रामीणों के जीवन का हिस्सा बन चुकी थीं।

पिछले 25 सालों में PMGSY ने सिर्फ सड़कें ही नहीं बनाईं बल्कि लाखों परिवारों की जिंदगी में बदलाव की नींव रखी। किसानों को अब अपनी उपज के बेहतर दाम मिलने लगे। बच्चे स्कूल आसानी से पहुंचने लगे। मरीजों को समय पर इलाज मिलने लगा।

कृषि विकास, रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच और गरीबी उन्मूलन – ये सब इस योजना के सीधे परिणाम रहे हैं। आज यह कहना गलत नहीं होगा कि PMGSY भारत के ग्रामीण विकास की सबसे प्रभावी पहलों में से एक है।

चौथा चरण: नया लक्ष्य, नई उम्मीदें

अब सरकार ने इस योजना के चौथे चरण की घोषणा की है। वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक की अवधि में 62,500 किलोमीटर सड़कों का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए कुल 70,125 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

इस नए चरण का उद्देश्य 25,000 ऐसे ग्रामीण बसावटों को हर मौसम में चलने योग्य सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करना है जो अभी तक जुड़ नहीं पाए हैं। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, क्योंकि ये अक्सर वो इलाके होते हैं जो या तो बहुत दूरदराज हैं या फिर भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में स्थित हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क बुनियादी ढांचा ग्रामीण विकास का मूलभूत स्तंभ है। यह आर्थिक और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच को सक्षम बनाता है, कृषि आय बढ़ाता है, उत्पादक रोजगार के अवसर पैदा करता है और गरीबी कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

सामाजिक-आर्थिक बदलाव का वाहक

समय के साथ PMGSY केवल एक सड़क निर्माण योजना नहीं रह गई है। यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का एक प्रमुख चालक बन गई है। इससे बाजार एकीकरण मजबूत हुआ है, किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलने लगा है और खेती-किसानी के साथ-साथ गैर-कृषि आजीविका को भी समर्थन मिला है।

एक अध्ययन बताता है कि जिन गांवों में PMGSY के तहत सड़कें बनीं, वहां प्रति व्यक्ति आय में औसतन 20 से 25 फीसदी की वृद्धि हुई। महिलाओं के लिए काम के नए अवसर खुले। युवाओं को शहरों में रोजगार तलाशने के लिए पलायन करना पड़ा लेकिन अब वे गांव में रहकर भी अच्छी आजीविका कमा पा रहे हैं।

साथ ही, सड़क कनेक्टिविटी ने गांवों में छोटे उद्योगों और स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा दिया है। ढाबे, किराना दुकानें, मरम्मत की दुकानें – इन सबकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

सरकार की प्रतिबद्धता: बढ़ता बजट आवंटन

हाल के वर्षों में PMGSY के लिए बजट आवंटन सरकार के ग्रामीण सड़क कनेक्टिविटी को मजबूत करने के निरंतर जोर को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना को 19,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

यह आवंटन ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, हर मौसम में सड़क कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने, और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर समर्थन को रेखांकित करता है। यह दिखाता है कि सरकार ग्रामीण विकास को कितनी गंभीरता से ले रही है।

बजट में यह बढ़ोतरी महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्माण लागत बढ़ रही है और कठिन इलाकों में काम करना महंगा पड़ता है। फिर भी सरकार ने इस पर कोई समझौता नहीं किया है।

गुणवत्ता पर बिना समझौता किए

शुरुआती वर्षों में कभी-कभी सड़कों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते थे। कुछ जगहों पर सड़कें जल्दी खराब हो जाती थीं। लेकिन अब सरकार ने व्यवस्थित उपायों के माध्यम से PMGSY के तहत बनाई गई ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता, टिकाऊपन और स्थिरता में काफी सुधार किया है।

आधिकारिक बयान में कहा गया कि PMGSY सड़क परियोजनाओं की प्रगति और प्रदर्शन की निगरानी उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके की जाती है जो अधिक दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

OMMAS: रियल टाइम निगरानी का साधन

ऑनलाइन प्रबंधन, निगरानी और लेखा प्रणाली यानी OMMAS एक ऐसा मंच है जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सभी कार्यों की वास्तविक समय में निगरानी को सक्षम बनाता है। इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि भौतिक और वित्तीय प्रगति राज्यों को सौंपे गए लक्ष्यों के अनुरूप बनी रहे।

परियोजना प्रबंधन सूचना प्रणाली यानी PMIS को और मजबूत करने के लिए, इसे OMMAS के भीतर एकीकृत किया गया है। इससे PMGSY-III के तहत स्वीकृत प्रत्येक सड़क के लिए निर्माण गतिविधियों का अधिक प्रभावी प्रबंधन संभव हो पाता है।

जब सारी जानकारी एक ही जगह उपलब्ध होती है तो समस्याओं की पहचान जल्दी हो जाती है। अगर किसी परियोजना में देरी हो रही है तो तुरंत पता चल जाता है और सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।

गुणवत्ता आश्वासन: स्वतंत्र निगरानी

OMMAS गुणवत्ता आश्वासन का भी समर्थन करता है। स्वतंत्र गुणवत्ता निगरानीकर्ताओं द्वारा किए गए मूल्यांकन इसमें कैप्चर किए जाते हैं। राष्ट्रीय गुणवत्ता निगरानीकर्ताओं (NQMs) और राज्य गुणवत्ता निगरानीकर्ताओं (SQMs) द्वारा किए गए निरीक्षण को गुणवत्ता निगरानी प्रणाली यानी QMS मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से अपलोड किया जाता है।

यही नहीं, फील्ड से जियो-टैग्ड फोटोग्राफ भी अपलोड की जाती हैं, जो बाद में OMMAS पोर्टल पर दिखाई देती हैं। यह ढांचा वास्तविक समय में गुणवत्ता निगरानी को सक्षम बनाता है और टिकाऊ ग्रामीण बुनियादी ढांचे की डिलीवरी में पारदर्शिता बढ़ाता है।

अब कोई ठेकेदार घटिया काम करके नहीं बच सकता। उसकी हर गतिविधि रिकॉर्ड होती है। अगर कोई खामी मिलती है तो सबूत मौजूद होते हैं।

e-MARG: रखरखाव की नई व्यवस्था

PMGSY सड़कों के इलेक्ट्रॉनिक रखरखाव यानी e-MARG प्लेटफॉर्म को सभी राज्यों में लागू किया गया है। इसका उद्देश्य पूर्णता की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए PMGSY सड़क रखरखाव की व्यवस्थित निगरानी सुनिश्चित करना है, जो दोष दायित्व अवधि यानी DLP से मेल खाती है।

रखरखाव भुगतान के लिए एक समर्पित सॉफ्टवेयर मॉड्यूल के रूप में e-MARG की शुरुआत के साथ, DLP के दौरान ठेकेदार भुगतान अब सीधे सड़क प्रदर्शन और गुणवत्ता परिणामों से जुड़े हुए हैं।

यह प्रदर्शन-आधारित अनुबंध प्रबंधन प्रणाली है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि इससे जवाबदेही काफी मजबूत हुई है, रखरखाव मानकों में सुधार हुआ है और PMGSY परिसंपत्तियों की दीर्घकालिक टिकाऊपन में वृद्धि हुई है।

पहले ऐसा होता था कि ठेकेदार सड़क बना देता और फिर भूल जाता। अब उसे पांच साल तक उसकी देखभाल करनी होती है। अगर सड़क खराब होती है तो उसका भुगतान प्रभावित होता है। इससे ठेकेदार शुरू से ही अच्छी गुणवत्ता पर ध्यान देते हैं।

समावेशी और सतत विकास की ओर

PMGSY के 25 वर्षों की यात्रा यह साबित करती है कि बुनियादी ढांचे में निवेश कितना परिवर्तनकारी हो सकता है। जब गांव शहरों से जुड़ते हैं, तो सिर्फ सड़कें नहीं बनतीं, बल्कि नए सपने भी जन्म लेते हैं।

एक किसान अब अपनी उपज को सीधे मंडी में ले जा सकता है। एक छात्र अपने गांव से कॉलेज तक आसानी से पहुंच सकता है। एक बुजुर्ग मरीज समय पर अस्पताल पहुंच सकता है। ये छोटी-छोटी चीजें हैं, लेकिन इनका प्रभाव जीवन भर रहता है।

योजना ने बाजार एकीकरण को मजबूत किया है, किसानों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति को सुविधाजनक बनाया है, और कृषि और गैर-कृषि दोनों आजीविका का समर्थन किया है। सामूहिक रूप से ये परिणाम समावेशी और सतत ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने में योजना की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करते हैं।

अगले पांच सालों में जब 25,000 और गांव इस नेटवर्क से जुड़ेंगे तो ग्रामीण भारत की तस्वीर और भी बदल जाएगी। PMGSY की यह विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव साबित होगी।

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