फरीदाबाद में फर्जी डिग्री कांड: 15 साल नौकरी, 37 लाख वेतन! स्कूल कर्मचारी पर मामला दर्ज, जांच तेज
फरीदाबाद के एक निजी स्कूल ने 15 साल तक फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले कर्मचारी पंकज अत्री पर करीब 37 लाख रुपये वेतन हड़पने का आरोप लगाया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय ने डिग्री को अवैध बताया।
- फर्जी डिग्री पर 15 साल तक स्कूल में नौकरी करने का आरोप
- 37 लाख 82 हजार रुपये वेतन के रूप में हड़पने का दावा
- सीएमजे विश्वविद्यालय ने बीसीए डिग्री को बताया फर्जी
- पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू की
फरीदाबाद के सूरजकुंड थाना क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने निजी स्कूलों की नियुक्ति प्रक्रिया को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दयालबाग स्थित एक निजी स्कूल में करीब 15 वर्षों तक फर्जी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नौकरी करने वाले कर्मचारी पर अब कानूनी शिकंजा कसने लगा है। स्कूल प्रबंधन की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी पंकज अत्री के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
स्कूल की भरोसेदारी, पंकज के दावों के आगे ढही
शिकायत के अनुसार पंकज अत्री वर्ष 2009 में कंप्यूटर लैब असिस्टेंट के रूप में नियुक्त हुआ। कहा गया कि उसने खुद को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से स्नातक बताया और इसी आधार पर चयन हुआ। स्कूल प्रशासन के लिए ये दावा कई वर्षों तक भरोसे का आधार बना रहा। मगर जब-जब प्रबंधन ने उसकी मूल डिग्री मांगी वह बहाने बनाकर बच निकलता रहा।
‘बीसीए’ डिग्री की कहानी और चौंकाने वाला सच
जांच का दायरा तब बढ़ा जब पता चला कि आरोपी ने वर्ष 2010 से 2012 के बीच सीएमजे यूनिवर्सिटी से बीसीए डिग्री लेने का दावा किया। उसी कागज के दम पर उसने वेतन वृद्धि भी हासिल कर ली।
लेकिन विश्वविद्यालय से की गई पुष्टि ने कहानी को पलट दिया। जवाब में साफ कहा गया कि बीसीए एक रेगुलर कोर्स है और उस अवधि में पंकज स्कूल में नियमित कर्मचारी के तौर पर मौजूद था। इससे भी अहम तथ्य यह कि उस समय विश्वविद्यालय में इस तरह का कोई पत्राचार कोर्स संचालित ही नहीं था।
आंकड़ों में आरोप और पुलिस की कार्रवाई
स्कूल के चेयरमैन ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि आरोपी ने जालसाजी और झूठे दस्तावेजों के सहारे करीब 37 लाख 82 हजार रुपये बतौर वेतन हड़पे। यह राशि महज आर्थिक नुकसान नहीं बल्कि 15 वर्षों तक संस्थान के भरोसे पर किया गया हमला मानी जा रही है।
पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपी की तलाश जारी है। अब जांच इस पर भी केंद्रित है कि क्या इस पूरी अवधि में अन्य दस्तावेजों में भी हेरफेर की गई थी।
सवाल बाकी: सिस्टम में सेंध कहां लगी?
यह मामला केवल एक व्यक्ति के आरोप तक सीमित नहीं, बल्कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में वेरिफिकेशन सिस्टम की कमजोरी को भी उजागर करता है। सवाल यह भी है कि क्या इतनी लंबी अवधि में किसी स्तर पर दस्तावेज जांच प्रक्रिया लागू नहीं हुई या चेक्स-एंड-बैलेंस की कमी ने इस स्थिति को जन्म दिया?
फिलहाल, सूरजकुंड थाना पुलिस आगे की कानूनी कार्रवाई में जुटी है और स्कूल प्रशासन उम्मीद जता रहा है कि आरोपी को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
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