IIM अहमदाबाद का दुबई में धमाकेदार आगाज़: भारत-यूएई की दोस्ती को नया रंग

Rajveer Singh
IIM अहमदाबाद का दुबई में धमाकेदार आगाज़ - भारत-यूएई की दोस्ती को नया रंग (फोटो साभार एक्स @airnewsalerts)

दुबई. भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद ने दुबई में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय कैंपस का शानदार उद्घाटन किया. यह खास मौका भारत और यूएई के बीच दोस्ती को और मजबूत करने का एक बड़ा कदम है. उद्घाटन समारोह में दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम और भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मिलकर रिबन काटा.

भारतीय शिक्षा की वैश्विक उड़ान

IIM अहमदाबाद का दुबई कैंपस भारतीय शिक्षा को दुनिया के नक्शे पर चमकाने की दिशा में एक नया कदम है. शेख हमदान ने कहा कि यह कैंपस दोनों देशों के बीच सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा और दुबई को शिक्षा का ग्लोबल हब बनाने में मदद करेगा. यह कदम भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विजन ‘भारतीय आत्मा, वैश्विक दृष्टिकोण’ को भी साकार करता है.

दो चरणों में बनेगा कैंपस

यह कैंपस दो चरणों में तैयार होगा. पहले चरण में यह दुबई इंटरनेशनल एकेडमिक सिटी में शुरू होगा, जहां छात्रों को आधुनिक सुविधाएं और बहुसांस्कृतिक माहौल मिलेगा. 2029 तक एक स्थायी कैंपस बनेगा जो मध्य पूर्व में प्रबंधन शिक्षा को नया आयाम देगा.

भारत-यूएई की दोस्ती को नया रंग

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह कैंपस भारत-यूएई के बीच शैक्षिक साझेदारी का नया अध्याय है. यूएई में पहले से ही मणिपाल यूनिवर्सिटी, BITS पिलानी जैसे संस्थान और 109 CBSE स्कूल भारतीय समुदाय की जरूरतें पूरी कर रहे हैं. यह नया कैंपस इस रिश्ते को और मजबूत करेगा.

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कैंपस न सिर्फ भारतीय छात्रों के लिए नए रास्ते खोलेगा बल्कि मध्य पूर्व और अफ्रीका में प्रबंधन शिक्षा के स्तर को भी ऊंचा करेगा. यह भारत की शिक्षा को वैश्विक मंच पर और चमकाने का मौका है. IIM अहमदाबाद का दुबई कैंपस न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है बल्कि भारत और यूएई की दोस्ती का प्रतीक भी है. आने वाले सालों में इस कैंपस से और बड़े सहयोग की उम्मीद है.

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राजवीर सिंह एक पेशेवर कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता का अनुभव है और स्थानीय, सामुदायिक और अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की गहरी समझ रखते हैं। वे अपने ज्ञान का उपयोग न केवल अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि, बल्कि अपनी प्रत्यक्ष समझ के आधार पर जानकारीपूर्ण लेख लिखने में करते हैं। वे केवल सूचना देने के लिए नहीं, बल्कि आवाज़ उठाने के लिए भी लिखते हैं।