हिंसा वाले बयान पर अशोक पंडित का पलटवार, राधिका आप्टे पर लगाए दोहरे मापदंड के आरोप

मुंबई (एनएफएल स्पाइस): मुंबई में फिल्मी गलियारों की चर्चा इन दिनों सिर्फ बॉक्स ऑफिस नंबरों तक सीमित नहीं है। ‘धुरंधर’ की तेज़ रफ्तार कमाई के बीच अभिनेत्री राधिका आप्टे के “मनोरंजन में बढ़ती हिंसा” वाले बयान ने एक नई बहस छेड़ दी है। यह बहस तब और तीखी हो गई जब फिल्म निर्माता-निर्देशक अशोक पंडित ने बिना नाम लिए अभिनेत्री पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और सोशल मीडिया पर खुलकर नाराज़गी जाहिर की।

राधिका आप्टे ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में किसी फिल्म या प्लेटफॉर्म का नाम लिए बिना कहा था कि एंटरटेनमेंट के नाम पर परोसी जा रही हिंसा उन्हें परेशान करती है। उनका कहना था कि वह अपने बच्चे को ऐसे माहौल में बड़ा नहीं करना चाहतीं, जहां मार-पीट, खून-खराबा और क्रूरता ही सामान्य मनोरंजन बन जाए। उनके मुताबिक, कई फिल्ममेकर्स बिना ज़रूरत के हिंसक दृश्य ठूंस रहे हैं।

इस बयान के बाद अशोक पंडित का गुस्सा सामने आया। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा करते हुए ‘धुरंधर’ का बचाव किया और राधिका आप्टे के रुख पर सवाल उठाए। पंडित ने लिखा कि अचानक कुछ लोगों के लिए सब कुछ “बहुत पवित्र” हो गया है, जबकि ओटीटी के शुरुआती दौर में वही चेहरे ऐसी वेब सीरीज़ का हिस्सा रहे हैं, जिनमें गाली-गलौज, न्यूडिटी और हिंसा को लेकर कोई हिचक नहीं दिखी।

मामला यहीं नहीं रुका। अशोक पंडित ने बहस को एक राजनीतिक-वैचारिक मोड़ देते हुए कहा कि जो लोग ‘धुरंधर’ जैसी फिल्मों की सोच से असहमत हैं, वे आतंकवाद पर बनी कहानियों को भी उसी नजर से देखते हैं। उन्होंने अपने बयान में 26 नवंबर जैसे आतंकी हमलों का जिक्र किया और कहा कि बेगुनाह भारतीयों की मौत पर चुप्पी साधने वाले लोग हिंसा पर नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं।

इस पूरे विवाद के बीच ‘धुरंधर’ की सिनेमाघरों में रफ्तार थमी नहीं है। आतंकवाद और देशभक्ति की पृष्ठभूमि पर बनी इस एक्शन थ्रिलर में रणवीर सिंह के साथ संजय दत्त, अर्जुन रामपाल, आर. माधवन, अक्षय खन्ना, सारा अर्जुन और राकेश बेदी अहम भूमिकाओं में नज़र आ रहे हैं। फिल्म 250 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है और दर्शकों के बीच चर्चा का केंद्र बनी हुई है।

एक तरफ बॉक्स ऑफिस की सफलता, दूसरी तरफ विचारधाराओं की टकराहट—राधिका आप्टे के बयान और अशोक पंडित की प्रतिक्रिया ने यह साफ कर दिया है कि भारतीय मनोरंजन उद्योग में हिंसा, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को लेकर बहस अभी थमी नहीं है।

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