गुरुग्राम में नवजात चोरी: सिविल अस्पताल से गायब बच्चा प्राइवेट अस्पताल में मिला, महिला डॉक्टर पर शक
गुरुग्राम में सिविल अस्पताल से गायब नवजात प्राइवेट अस्पताल में मिला। बिना दस्तावेज भर्ती, महिला डॉक्टर और आशा वर्कर पर शक। मानव तस्करी की आशंका के बीच पुलिस जांच शुरू पर अभी तक कोई केस दर्ज नहीं।
- गुरुग्राम में सिविल अस्पताल से चोरी हुआ नवजात संदिग्ध प्राइवेट अस्पताल में मिला
- महिला डॉक्टर, पार्टनर और आशा वर्कर की भूमिका पर शक, भर्ती प्रक्रिया बिना रिकॉर्ड के
- मानव तस्करी की आशंका, शिकायतकर्ता ने बच्चा सुरक्षित शिफ्ट कर पुलिस को दी जानकारी
- अभी तक मामला दर्ज नहीं, लेकिन पुलिस शुरुआती जांच में जुटी
गुरुग्राम में नवजात शिशु की चोरी से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने स्वास्थ्य प्रणाली की सुरक्षा व्यवस्था और अस्पतालों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल से लापता हुआ बच्चा एक प्राइवेट अस्पताल में मिला, जहां उसके भर्ती होने की प्रक्रिया संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी।
मामला कैसे खुला
सिविल अस्पताल के कर्मियों को संदिग्ध गतिविधियों की भनक तब लगी जब बच्चे को जांच के लिए लाया गया, लेकिन मेडिकल रिकॉर्ड या जन्म से जुड़े दस्तावेज किसी के पास नहीं थे। टीम ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। शुरुआती जांच में पता चला कि यह शिशु दो से तीन दिन पहले मात्र पंद्रह साल की एक नाबालिग लड़की से जन्मा था।
इस खुलासे के बाद बच्चा उस प्राइवेट अस्पताल से मिल गया जहां उसे बिना किसी दस्तावेजी प्रक्रिया के रखा गया था। वहीं से कहानी ने नया मोड़ लिया।
अंदरूनी साजिश का शक
शिकायतकर्ता, जो खुद उसी प्राइवेट अस्पताल का संचालन करते हैं, ने बताया कि अस्पताल की एक पार्टनर प्रमिला उर्फ प्रीति और एक महिला डॉक्टर समेत अन्य लोगों की भूमिका संदिग्ध लग रही है। शिकायत के अनुसार मंगलवार शाम करीब साढ़े सात बजे एक आशा वर्कर संतोष के साथ बच्चा अस्पताल लाया गया।
नर्सरी में भर्ती तो किया गया, लेकिन न फाइल तैयार हुई, न ही किसी डॉक्टर को सूचित किया गया। बच्चे को कोई उपचार भी नहीं दिया गया। सबसे हैरानी की बात यह थी कि शिशु के साथ कोई भी रिश्तेदार मौजूद नहीं था, जिससे शक की सुई सीधे मानव तस्करी या अवैध गोद लेने जैसे अपराध पर जा टिकी।
मानव तस्करी की आशंका
शिकायतकर्ता ने यही आशंका जताते हुए बच्चे को वहां से दूसरी जगह सुरक्षित शिफ्ट कर दिया और पुलिस को सूचना दे दी। उनका कहना है कि स्थिति यदि नजरअंदाज की जाती तो यह मामला मानव तस्करी के एक बड़े गिरोह में बदल सकता था। फिलहाल इस मामले में पुलिस कार्रवाई और संभावित गुनहगारों पर नजर बनाए हुए है।
पुलिस की स्थिति और अगला कदम
हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए चौकसी बढ़ा दी गई है, लेकिन अब तक किसी के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं और बयान दर्ज होने के बाद कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
मामले में कई सवाल अभी अनुत्तरित हैं। क्या यह एक संगठित रैकेट है? क्या कोई नया अवैध गोद लेने का नेटवर्क सक्रिय है? और क्या स्वास्थ्य संस्थानों की आड़ में अपराध हो रहा है? जांच से पहले इन सवालों के जवाब मिलना मुश्किल है लेकिन गुरुग्राम में यह मामला फिलहाल चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
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