हरियाणा में 10 करोड़ की विदेशी शराब तस्करी का भंडाफोड़: गुरुग्राम का सबसे बड़ा स्टॉक, इंस्पेक्टर सस्पेंड

Haryana News: हरियाणा में नशे और अवैध शराब के कारोबार पर सख्ती के दावे एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। जिस विभाग को इस अपराध पर नकेल कसनी चाहिए, उसी के भीतर से मिलीभगत के संकेत अब खुलकर सामने आने लगे हैं। गुरुग्राम में सिग्नेचर ग्लोबल टावर के पास दी ठेका नामक एक दुकान पर हुई संयुक्त छापेमारी ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है।

छापेमारी के दौरान पुलिस और एक्साइज विभाग की टीम ने करीब 42,000 विदेशी शराब की बोतलें बरामद कीं, जिनकी बाजार कीमत लगभग 10 करोड़ रुपये आंकी गई है। अधिकारियों के अनुसार यह गुरुग्राम में अब तक पकड़ा गया सबसे बड़ा अवैध विदेशी शराब का ज़खीरा है।

सबसे चौंकाने वाली बात—इन बोतलों पर हरियाणा सरकार का अनिवार्य होलोग्राम नहीं था, जिससे साफ हो गया कि शराब न सिर्फ अवैध तरीके से देश में लाई गई थी, बल्कि बिना कस्टम और एक्साइज ड्यूटी चुकाए खुलेआम बेची जा रही थी।

प्रीमियम ब्रांड, हाई-प्रोफाइल क्लाइंट और करोड़ों की टैक्स चोरी

जांच में रुपये में बिकने वाले शराब ब्रांड मिले—जैसे जॉनी वॉकर ब्लू लेबल, चिवास रीगल, ग्लेनफिडिच और मैकलन। इनकी प्रति बोतल कीमत ₹5,000 से ₹1.5 लाख तक पहुंचती है। टीम को कुल 3921 पेटियां और 176 लूज बोतलें मिलीं।

एक्साइज विभाग के डिप्टी कमिश्नर अमित भाटिया के अनुसार, “रूटीन चेकिंग के दौरान होलोग्राम की कमी दिखी, जिसके बाद पूरी दुकान की जांच की गई।”

दुकान के कर्मचारियों ने बताया कि यहां रोज 50–60 लाख रुपये का कारोबार होता था और अधिकतर ग्राहक हाई-प्रोफाइल थे। इसका मतलब है कि तस्करी सिर्फ स्थानीय नेटवर्क नहीं, बल्कि एक संगठित बिजनेस मॉडल की तरह काम कर रही थी।

इंस्पेक्टर सस्पेंड, मालिक फरार – फंदा अब कसा जा रहा है

कार्रवाई का असर विभाग के अंदर तक पहुंचा है।

एक्साइज विभाग ने इंस्पेक्टर पवन शर्मा को सस्पेंड कर दिया है और उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। छापेमारी की भनक लगते ही दुकान मालिक फरार हो गया।

सूत्रों का दावा है कि यह अवैध चेन दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान तक फैली हुई है। “ड्यूटी-फ्री” की आड़ और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके तस्करों ने एक वैकल्पिक डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क खड़ा कर लिया था।

44 करोड़ की लाइसेंस फीस पर भी उठे सवाल

सरकार ने सुरेंद्र नाम के व्यक्ति को 44 करोड़ रुपये की फीस लेकर लाइसेंस जारी किया था। अब ठेके पर सील लगाने और लाइसेंस रद्द होने की संभावना है।

जांच एजेंसियां कई और गिरफ्तारी की तैयारी में हैं। मामला जितना गहराता जा रहा है, उतनी ही यह चिंता बढ़ रही है कि क्या हरियाणा में अवैध शराब की जड़ें सिस्टम के भीतर ही कहीं गहरी पैठ तो नहीं बना चुकीं?

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