हरियाणा में डॉक्टरों की हड़ताल पर सरकार का कड़ा एक्शन: ESMA लागू, ‘नो वर्क नो पे’ आदेश से तकरार तेज

हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों की दो दिन की symbolic strike अचानक एक बड़े टकराव में बदल गई है। मंगलवार शाम सरकार ने साफ संकेत दे दिए — अब स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी तरह की रुकावट बर्दाश्त नहीं होगी। इसी के चलते राज्य में आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (ESMA) लागू कर दिया गया, जिसे कई अधिकारी “अत्यावश्यक हालात में सरकार का final safeguard” बताते हैं।

सरकार के आदेश में कहा गया है कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों, आपात स्थिति वाले केस और routine care में किसी भी तरह की बाधा लोगों के Right to Health (स्वास्थ्य का अधिकार) को प्रभावित करती है। इसलिए सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों को बिना रुकावट अपनी ड्यूटी निभानी होगी। राज्यपाल ने धारा 4(क)(1) (Section 4A(1)) के तहत छह महीनों तक किसी भी तरह की हड़ताल पर रोक तय कर दी है।

सरकार ने कहा— “हड़ताल से सेवाएं नहीं टूटीं”

स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने देर शाम अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की और संदेश जारी किया कि दो दिवसीय हड़ताल के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं को “ज्यादातर जगह स्थिर रखा गया।”

उन्होंने बताया कि कई अस्पतालों में डॉक्टरों की वैकल्पिक ड्यूटी लगाई गई और बाहरी सहायता भी ली गई। मंत्री के मुताबिक, “आम आदमी को भारी परेशानियां न हों”—यह सरकार की पहली प्राथमिकता है।

रोक-टोक के बीच ‘नो वर्क नो पे (No Work No Pay)’ का आदेश

डॉक्टरों की हड़ताल जारी रहने के संकेत मिलते ही विभाग ने सख्त कदम उठाया—जो डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं आए, उन्हें इन दिनों का वेतन नहीं मिलेगा।

डॉक्टर एसोसिएशन ने इसे “दमनकारी कदम” बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया का कहना है कि कई बार सरकार को वार्ता (Negotiation) के लिए चिट्ठियां भेजी गईं, लेकिन “कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया।”
उनके मुताबिक, “जब तक मांगों पर स्पष्ट समाधान नहीं मिलता, अनिश्चितकालीन हड़ताल (Indefinite Strike) जारी रहेगी।”

डॉक्टरों की मुख्य आपत्तियां— प्रमोशन बनाम सीधी भर्ती

हड़ताल के केंद्र में एसएमओ (Senior Medical Officer) के पदों की भर्ती नीति है।

वर्तमान व्यवस्था के तहत 75% पद प्रमोशन से और सिर्फ 25% पद सीधी भर्ती (Direct Recruitment) से भरे जाते हैं। एसोसिएशन का कहना है कि सीधी भर्ती वाले डॉक्टर तेज़ी से शीर्ष पदों—कुछ तो महानिदेशक (Director General) तक—पहुँच जाते हैं, जबकि वर्षों से कार्यरत डॉक्टर्स को मुश्किल से एक प्रमोशन मिलता है।

इसी असमानता के विरोध में 10 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया गया है। संगठन ने बुधवार से आमरण अनशन (Hunger Strike) शुरू करने की भी चेतावनी दी है।

तीखी हड़ताल का असर— मरीज परेशान, सेवाएं कमजोर

राज्य के कई जिलों में OPD सेवाएं मंगलवार को कमजोर रहीं।

यमुनानगर, पानीपत, फतेहाबाद, जींद, कैथल, हिसार, झज्जर और चरखी दादरी जैसे जिलों में लंबी लाइनें देखी गईं। गंभीर केसों को अक्सर दूसरे अस्पतालों में रेफर करना पड़ा।

महेंद्रगढ़ में एक छह वर्षीय बच्ची का पोस्टमॉर्टम न हो पाने से परिजन परेशान हुए और शव को नारनौल भेजना पड़ा।

पंचकूला सिविल अस्पताल में मरीज डॉक्टरों का घंटों इंतजार करते रहे, जबकि हिसार में सड़क हादसे में घायल एक युवक को समय पर उपचार नहीं मिल सका।

अब नज़रें अगले कदम पर— वार्ता होगी या टकराव बढ़ेगा?

ESMA लागू होने के बाद सरकार और डॉक्टरों के बीच तनातनी और बढ़ सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि “डॉक्टरों का मनोबल (Morale) और मरीजों की सुरक्षा—दोनों को संतुलन में रखे बिना समाधान संभव नहीं।”

अब पूरे राज्य में यह चर्चा है कि क्या सरकार जल्द कोई मध्य रास्ता निकालेगी या यह टकराव लंबा खिंचेगा।

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