डंकी रूट पर लगाम: हरियाणा सरकार का बड़ा प्रशासनिक फैसला, अब हर जिले में ADC बनेंगे लोकपाल
अवैध डंकी रूट मामलों पर बढ़ते दबाव के बीच हरियाणा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सभी जिलों में अतिरिक्त उपायुक्त को लोकपाल बनाया गया है। ट्रैवल एजेंटों की जवाबदेही तय होगी लेकिन नियमों की देरी पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर -
Haryana News: हरियाणा में अवैध तरीके से विदेश भेजने के मामलों, खासकर ‘डंकी रूट’ से जुड़े नेटवर्क पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार अब खुलकर मैदान में उतरती दिख रही है। हालिया घटनाक्रमों के बाद सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फैसला लेते हुए सभी जिलों में अतिरिक्त उपायुक्त (ADC) को लोकपाल के रूप में नामित कर दिया है। यह कदम ऐसे समय आया है जब अमेरिका से बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं की डिपोर्टेशन ने पूरे देश में हलचल पैदा की है।
सरकार ने यह जिम्मेदारी ADC को सौंपते हुए साफ संकेत दिया है कि अब ट्रैवल एजेंटों की मनमानी नहीं चलेगी। हालांकि यह भी सच है कि जिस कानून के तहत यह व्यवस्था की गई है उसे नोटिफाई हुए करीब आठ महीने बीत चुके हैं और अब जाकर इसके अमल की प्रक्रिया शुरू हुई है।
सरकार अलर्ट मोड में
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए युवाओं की कहानियों ने डंकी रूट की हकीकत एक बार फिर सामने ला दी। लाखों रुपये खर्च कर विदेश पहुंचने का सपना दिखाने वाले एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हुई जिसके बाद सरकार पर दबाव बढ़ा। इसी पृष्ठभूमि में गृह विभाग ने 11 दिसंबर को अहम आदेश जारी करते हुए जिलों में लोकपाल नियुक्ति की प्रक्रिया को हरी झंडी दी।
आठ महीने बाद आया प्रशासनिक आदेश
हरियाणा ट्रैवल एजेंट रजिस्ट्रेशन एवं विनियमन अधिनियम, 2025 को सरकार ने 9 अप्रैल 2025 को अधिसूचित किया था। लेकिन कानून लागू होने के बावजूद उससे जुड़े जरूरी नियम अब तक अधिसूचित नहीं किए गए। यही वजह रही कि इतने महीनों तक इस कानून का असर ज़मीनी स्तर पर दिखाई नहीं दिया। अब प्रशासनिक आदेश के जरिए सरकार ने एक तरह से उस खालीपन को भरने की कोशिश की है।
जिला स्तर पर कसेगा शिकंजा
नए आदेशों के तहत उपायुक्त (DC) को अपने-अपने जिलों में ट्रैवल एजेंटों के पंजीकरण का अधिकार दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब एजेंटों पर निगरानी सीधे जिला प्रशासन के हाथ में होगी। सरकार का मानना है कि स्थानीय स्तर पर निगरानी से फर्जी एजेंटों और अवैध नेटवर्क को जल्दी पकड़ा जा सकेगा।
पीड़ितों को मिलेगा सीधा मंच
कानून की धारा 15 के अनुसार, यदि किसी ट्रैवल एजेंट की लापरवाही या धोखाधड़ी से कोई व्यक्ति प्रभावित होता है, तो वह सीधे लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करा सकता है। लोकपाल मामले की जांच करेगा और जरूरत पड़ने पर इसे पुलिस या अन्य संबंधित एजेंसियों को भेज सकता है। इससे पीड़ितों को अब लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया से गुजरने की मजबूरी नहीं रहेगी।
नियमों की देरी बना सवाल
हालांकि सरकार के इस कदम को अहम माना जा रहा है लेकिन यह सवाल भी उठ रहे हैं कि जब तक अधिनियम से जुड़े स्पष्ट नियम लागू नहीं होते तब तक कार्रवाई कितनी प्रभावी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि बिना नियमों के कानून का पूरा असर सामने लाना चुनौतीपूर्ण रहेगा, खासकर तब जब मामला संगठित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ा हो।
डंकी रूट के खिलाफ यह प्रशासनिक सख्ती आने वाले दिनों में कितना असर दिखाती है इस पर सभी की नजरें टिकी हैं और खासकर उन परिवारों की जिनके सपने अवैध रास्तों पर टूट चुके हैं।
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