Haryana News: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा वक्फ बोर्ड के गठन को लेकर चल रहे विवाद पर आज अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत दी कि तीन महीने के अंदर नई अधिसूचना जारी करके वक्फ बोर्ड का गठन किया जाए। और वो भी नए वक्फ एक्ट 2025 के मुताबिक! ये फैसला उन याचिकाओं पर आया है जिनमें बोर्ड के गठन में गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया था।
कोर्ट ने सरकार को क्यों लगाई फटकार?
दरअसल, साल 2020 से हरियाणा वक्फ बोर्ड का गठन नहीं हो पाया है। 12 मार्च 2020 को हाईकोर्ट ने ही चेयरमैन के चुनाव पर रोक लगा दी थी। उसके बाद 6 सितंबर 2024 को जारी अधिसूचना को भी चुनौती दी गई। याची एडवोकेट मोहम्मद अरशद ने कोर्ट में दलील दी कि सरकार ने आचार संहिता लागू होने के बावजूद जल्दबाजी में गैर-कानूनी तरीके से बोर्ड गठित किया।
कोर्ट ने पूछा, “आचार संहिता के दौरान इतनी जल्दी क्या थी?” सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा गया। याचिका में पांच बड़े पॉइंट्स उठाए गए:
- सदस्यों की कैटेगरी का खुलासा नहीं किया गया, जो हरियाणा वक्फ अधिनियम का उल्लंघन है।
- सभी सदस्य नामित कर दिए गए, जबकि कानून कहता है कि निर्वाचित सदस्यों की तादाद नामित से ज्यादा होनी चाहिए (धारा 14)।
- अल्ताफ हुसैन को मुस्लिम वरिष्ठ वकील की कैटेगरी में रखा गया, लेकिन वो पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल में रजिस्टर्ड ही नहीं हैं। बार काउंसिल ने 7 नाम भेजे थे, उन्हें नजरअंदाज कर दिया।
- विधायक कैटेगरी में कोई चुनाव नहीं कराया गया।
- सबसे बड़ी बात, आचार संहिता का सीधा उल्लंघन।
कोर्ट ने इन तमाम दलीलों से सहमत होते हुए पुरानी व्यवस्था पर रोक लगाई और नई शुरुआत का आदेश दे दिया।
सालों से क्यों अटका है बोर्ड का गठन?
हरियाणा में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का मामला हमेशा सुर्खियों में रहता है। 2020 से चेयरमैन की नियुक्ति और सदस्यों की मीटिंग्स पर सवाल उठते रहे हैं। एक याचिका तो बिना चेयरमैन के मीटिंग करने को चुनौती दे रही थी। अब नए वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 के तहत बोर्ड बनेगा, जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही पर ज्यादा जोर है।
मुस्लिम समुदाय की राहत, लेकिन सवाल बरकरार
समुदाय के लोग कह रहे हैं कि बोर्ड का गठन न होने से वक्फ संपत्तियों की देखभाल प्रभावित हो रही थी। अब कोर्ट के आदेश से उम्मीद है कि जल्दी सब ठीक हो जाएगा। हालांकि, याची पक्ष का कहना है कि सरकार बार-बार कानून की अनदेखी करती है, ये दूसरी बार गलत अधिसूचना जारी की गई।
हरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि कोर्ट के आदेश का सम्मान करेंगे और जल्द नई प्रक्रिया शुरू करेंगे। लेकिन विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि ये देरी जानबूझकर की गई ताकि वक्फ मामलों में दखलंदाजी हो सके।
ये मामला दिखाता है कि वक्फ बोर्ड जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कानून का सख्ती से पालन कितना जरूरी है। अब देखना ये है कि सरकार तीन महीने में कितना अमल कर पाती है। अगर आप भी इस मुद्दे पर कुछ कहना चाहें तो कमेंट्स में बताएं!

