हरियाणा के 12 गांवों में शहर जैसी सुविधाएं: महाग्राम योजना से पानी-सीवरेज नेटवर्क में बड़ी तेजी
Haryana News: हरियाणा सरकार राज्य के ग्रामीण इलाकों को शहरों जैसी सुविधाओं से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम तेजी से आगे बढ़ा रही है। 12 गांवों में पेयजल और सीवरेज का मजबूत नेटवर्क तैयार करने का काम फाइनल चरण में है। इनमें से गुरुग्राम के भोड़ा कलां, सोनीपत के भैंसवाल कलां और पलवल के खांबी गांव में तो पूरी व्यवस्था चालू भी हो चुकी है। दो और गांवों में बचा हुआ कार्य 31 दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार की इस योजना ने गांवों को पहली बार महसूस कराया है कि बुनियादी ढांचा सिर्फ शहरों का अधिकार नहीं—ग्रामीण जीवन भी उसी गुणवत्ता का हक़दार है।
बैठक में सीएम ने दी सख्त टाइमलाइन, कहा—“लंबित परियोजनाएं अब समय से पूरी हों”
शनिवार को हुई बजट समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी पेंडिंग प्रोजेक्ट्स को तय समय सीमा में पूरा किया जाए।
बैठक में बताया गया कि:
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23 शहरों को नई सीवर लाइन बिछाने के लिए चुना गया है
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इनमें से 100 किलोमीटर लाइन का काम पूरा हो चुका है
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बाकी काम भी अगले तीन महीनों के भीतर खत्म करने का लक्ष्य है
सीएम ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की बढ़ती मांग पर चिंता जताते हुए कहा कि भूमिगत जल का अनावश्यक दोहन तुरंत रोका जाए और इसकी जगह ट्रीटेड वेस्ट वाटर के उपयोग को प्राथमिकता दी जाए।
1870 नहर जलघर से लेकर 12,920 नलकूप तक—राज्य की जल आपूर्ति पर बड़ा अपडेट
विभाग के मुताबिक हरियाणा में फिलहाल:
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1870 नहर आधारित जलघर,
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12,920 नलकूप,
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9 रैनीवेल,
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और 4,140 बूस्टिंग स्टेशन
हर दिन लाखों लोगों तक पेयजल पहुंचा रहे हैं।
सिरसा लोकसभा क्षेत्र के सभी 616 गांवों में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी उपलब्ध कराए जाने का दावा किया गया है। हालांकि दहमन और खारा खेड़ी गांव अभी 40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पर हैं, मगर इनकी क्षमता बढ़ाने के लिए 7 करोड़ रुपये की परियोजना मार्च तक पूरी कर ली जाएगी।
उद्योग और खेती को भी मिलेगा फायदा—एसटीपी का पानी होगा 100% रि-यूज
बैठक में एक दिलचस्प तथ्य यह भी सामने आया कि विभिन्न शहरों के एसटीपी से निकलने वाला ट्रीटेड वेस्ट वाटर अब उद्योगों और सिंचाई विभाग को दिया जा रहा है। इससे ताजे पानी की मांग में बड़ी कमी आई है।
सीएम ने निर्देश दिया कि:
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इस मॉडल को और बड़े पैमाने पर लागू किया जाए
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हर बूंद ट्रीटेड पानी का शत-प्रतिशत रि-यूज सुनिश्चित किया जाए
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सभी परियोजनाओं की प्रगति नियमित मॉनिटरिंग में रहे
सरकार का मानना है कि यदि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पानी रीसायक्लिंग का उपयोग बढ़ाया जाए, तो आने वाले वर्षों में जलसंकट की आशंकाएं काफी हद तक कम हो सकती हैं।
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