हरियाणा निकाय चुनाव से पहले बड़ा बदलाव: नई वार्डबंदी ने बदले समीकरण, BJP तैयार, कांग्रेस धीमी!
हरियाणा में नए साल के साथ शहरी निकाय चुनावों की तैयारी तेज। कई नगर निकायों में वार्डबंदी पूरी, रेवाड़ी, सोनीपत और अंबाला में नई सीमाएं तय। सरकार समय पर चुनाव का दावा कर रही, जबकि कांग्रेस की धीमी तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं।
- हरियाणा में निकाय चुनाव नजदीक, कई शहरों में वार्डबंदी पूरी
- रेवाड़ी में 32, सोनीपत में 22 और अंबाला में 20 नए वार्ड बने
- सरकार का दावा: चुनाव तय समय पर, विपक्ष की तैयारी पर सवाल
- पंचकूला अभी प्रक्रिया से बाहर, जल्द फैसला होने की उम्मीद
Haryana News: हरियाणा में नया साल शुरू होते ही शहरी राजनीति का पारा चढ़ने लगा है। स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सरकार, प्रशासन और सत्तारूढ़ भाजपा संगठन तीनों स्तरों पर तैयारियों की रफ्तार अचानक तेज हो गई है। दूसरी तरफ कांग्रेस अब भी धीमी चाल में दिखाई दे रही है जिससे सियासी मैदान में शुरुआती बढ़त किसके हाथ जाएगी, इस पर सवाल उठने लगे हैं।
चुनावी काउंटडाउन शुरू
जैसे-जैसे वार्डबंदी की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच रही है वैसे-वैसे शहरों की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई निकायों में सीमांकन पूरा हो चुका है और छह निकायों में नई वार्ड सीमाएं सरकार द्वारा अधिसूचित भी कर दी गई हैं।
कहाँ कितना बदलाव: नए नक्शे से नई राजनीति
अधिसूचना के मुताबिक रेवाड़ी नगर परिषद में कुल 32 नए वार्ड बनाए गए हैं। सोनीपत नगर निगम में 22 और अंबाला नगर निगम में 20 वार्ड तय किए गए हैं। ये आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं बल्कि उन नए राजनीतिक समीकरणों की तरफ इशारा भी करते हैं जिन पर आने वाले शहरों का सियासी भविष्य टिका होगा।
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रेवाड़ी की धारूहेड़ा नगर परिषद, रोहतक के सांपला और हिसार के उकलाना में वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। यानी इन स्थानों पर चुनावी बिगुल फूंकने में अब सिर्फ औपचारिकता बाकी है।
फरीदाबाद-पंचकूला की तस्वीर अधूरी
फरीदाबाद और पंचकूला को लेकर वार्डबंदी की तैयारी अभी भी कागजों पर चल रही है। खासतौर पर पंचकूला नगर निगम इस प्रक्रिया से फिलहाल बाहर है लेकिन सरकार का दावा है कि जल्द ही इसे भी अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यह दिलचस्प है क्योंकि पंचकूला, सोनीपत और अंबाला नगर निगमों का कार्यकाल जनवरी 2026 में समाप्त हो रहा है ऐसे में समय बेहद सीमित बचा है।
सरकार का भरोसा, विपक्ष का सस्पेंस
नगर निकाय मंत्री विपुल गोयल ने साफ शब्दों में कहा है कि “सभी नगर निगमों में वार्डबंदी पूरी हो चुकी है और चुनाव तय समय पर ही कराए जाएंगे। मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में अंबाला, सोनीपत और पंचकूला को लेकर विस्तार से चर्चा हो चुकी है।”
सरकारी दावों से यह संदेश देने की कोशिश है कि सिस्टम चुनाव के लिए तैयार है। हालांकि विपक्ष की धीमी रफ्तार और मौन रणनीति इस बार सत्ता पक्ष को शुरुआती बढ़त दिला सकती है। कांग्रेस की चुप्पी को लोग रणनीति कह रहे हैं या कमजोरी, इस पर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है।
सियासत की नई बिसात
हरियाणा का शहरी वोटर पहले ही पारदर्शी कामकाज और स्थानीय मुद्दों पर अधिक मुखर हो चुका है। पानी, सफाई, सड़क और टैक्स जैसी स्थानीय समस्याओं पर इस बार भावनाओं से नहीं, काम से वोट मिलने की उम्मीद की जा रही है। वार्डबंदी पूरी होते ही यह साफ हो जाएगा कि कौन किस इलाके की लड़ाई लड़ेगा और कौन किसके खिलाफ खड़ा होगा।
आने वाले दिनों में हरियाणा सिर्फ नए साल का जश्न नहीं मनाएगा, बल्कि शहरी चुनावों के नए अध्याय की उलटी गिनती भी शुरू कर देगा।
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