विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पास हुआ! हरियाणा सरकार का बड़ा कदम, 26 निजी यूनिवर्सिटीज पर निगरानी तेज होगी
हरियाणा विधानसभा में निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2025 पारित हो गया। लाल किला बम ब्लास्ट जांच में अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम आने के बाद सरकार ने 26 निजी यूनिवर्सिटीज पर प्रशासक नियुक्ति का प्रावधान किया।
- हरियाणा विधानसभा में निजी विश्वविद्यालयों पर सख्ती वाला संशोधन विधेयक पास
- आतंकी जांच में नाम आने के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर बढ़ी सरकारी निगरानी
- 26 निजी यूनिवर्सिटीज की सूची के साथ प्रशासक नियुक्ति का रास्ता साफ
- कांग्रेस ने जताई आपत्ति, सरकार ने विशेष परिस्थितियों में कार्रवाई की बात कही
Haryana News: हरियाणा विधानसभा के मौजूदा सत्र में शिक्षा से जुड़ा एक अहम विधेयक उस वक्त चर्चा के केंद्र में आ गया जब महिपाल ढांडा ने Haryana Private Universities Amendment Bill 2025 सदन में पेश किया। पृष्ठभूमि में दिल्ली के लाल किला बम ब्लास्ट केस की जांच का जिक्र रहा जिसमें जांच एजेंसियों के दौरान फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आया था। सरकार का तर्क रहा कि राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की निगरानी और जवाबदेही को मजबूत करने के लिए यह संशोधन जरूरी हो गया है।
26 निजी विश्वविद्यालय और प्रशासक की व्यवस्था
संशोधित विधेयक के साथ सरकार ने राज्य की 26 निजी यूनिवर्सिटीज की सूची भी सदन के पटल पर रखी जिनमें आवश्यकता पड़ने पर प्रशासक नियुक्त किए जाने का प्रावधान है। शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक यह कदम केवल कागजी नहीं बल्कि उन मामलों पर केंद्रित है, जहां संस्थानों की गतिविधियों पर गंभीर सवाल उठे हैं।
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अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संदर्भ में देशविरोधी गतिविधियों और वित्तीय अनियमितताओं की बातें सामने आने के बाद सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की कि अब ऐसे मामलों को हल्के में नहीं लिया जाएगा।
विपक्ष की आपत्तियां और सवाल
विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रघुवीर कादियान ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि इस संशोधन के जरिए सरकार निजी विश्वविद्यालयों को अपने सीधे नियंत्रण में लेने की तैयारी कर रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कानून बनाते वक्त शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता और अकादमिक माहौल की सुरक्षा पर स्पष्ट प्रावधान होने चाहिए।
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इसी कड़ी में कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने प्रशासक की नियुक्ति को लेकर व्यावहारिक सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि जिस प्रशासक को यूनिवर्सिटी में बैठाया जाएगा, उसकी योग्यता, अनुभव और अधिकार क्या होंगे। साथ ही उन्होंने यह मुद्दा भी उठाया कि कुछ निजी यूनिवर्सिटीज केवल डिग्रियां बांटने तक सीमित रह गई हैं जिन पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।
सरकार का जवाब और विधेयक का पास होना
आपत्तियों के जवाब में शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने सदन को भरोसा दिलाया कि प्रशासक की नियुक्ति किसी सामान्य स्थिति में नहीं बल्कि विशेष परिस्थितियों में ही की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो विश्वविद्यालय ठीक से काम कर रहे हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। चर्चा के बाद सदन में संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया, जिससे निजी विश्वविद्यालयों पर निगरानी और नियंत्रण के नए रास्ते खुल गए हैं।
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