हरियाणा में बड़ा फैसला: शहरों में 20 साल पुराने कब्जाधारियों को मिलेगा मालिकाना हक, आवेदन प्रक्रिया जल्द

Haryana News: हरियाणा सरकार ने शहरी इलाकों में रहने वाले उन परिवारों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है, जो बीते दो दशकों से किसी जमीन या मकान पर कब्जा करके रह रहे थे और कानूनी अनिश्चितता से जूझ रहे थे। अब राज्य सरकार उन्हें भी गांवों की तरह मालिकाना हक देने जा रही है—एक ऐसा कदम जो न सिर्फ हजारों परिवारों की चिंता खत्म करेगा, बल्कि अदालतों में लंबित सैकड़ों विवादों को भी रास्ता दिखाएगा।

सरकार की जनपरिवाद समिति की बैठक के बाद मंत्री ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत की 500 गज तक की जमीन पर बने मकानों को मालिकाना हक देने की नीति पहले ही लागू है। इसी मॉडल को अब शहरी क्षेत्रों में भी बढ़ाया जा रहा है, ताकि पुरानी आबादियों में रहने वाले लोगों को स्थायी सुरक्षा मिल सके।

क्या है नया फैसला?

शहरी क्षेत्रों में यह नीति मंत्री विपुल गोयल के प्रस्ताव पर आगे बढ़ाई जा रही है। सरकार पहले चरण में उन लोगों को दुकानों का मालिकाना हक दे चुकी है, जो 20 साल से पट्टा लेकर व्यवसाय चला रहे थे। अब यह दायरा बढ़ाकर मकानों तक ले जाया जा रहा है।

नई पॉलिसी में कुछ स्पष्ट शर्तें रखी गई हैं—

  • मकान का क्षेत्रफल 500 गज से अधिक नहीं होना चाहिए

  • जमीन किसी जोहड़, सड़क, फिरनी या सार्वजनिक उपयोग वाली श्रेणी में नहीं होनी चाहिए

  • पात्र लोगों को जमीन कलेक्टर रेट पर उपलब्ध कराई जाएगी

  • आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी

सरकार का मानना है कि इस कदम से उन परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी, जो वर्षों से कानूनी स्थिति स्पष्ट न होने के कारण संपत्ति में निवेश नहीं कर पा रहे थे।

अदालतों में लंबित मामलों को भी मिलेगा रास्ता

शहरी क्षेत्रों में जमीन के मालिकाना हक से जुड़े विवाद लंबे समय से अदालतों में फंसे हुए थे। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि नई स्कीम लागू होते ही ऐसे कई केस अपने-आप समाप्त हो जाएंगे, जिससे न्यायिक बोझ भी कम होगा और लोगों को वर्षों की उलझन से छुटकारा मिलेगा।

हिसार से अभी तक आवेदन नहीं

मंत्री ने बताया कि योजना के तहत अब तक हिसार जिले से कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। विभाग जल्द ही जागरूकता अभियान चलाकर पात्र लोगों को आवेदन प्रक्रिया के बारे में जानकारी देगा।

राजनीतिक विवाद पर मंत्री ने कहा—“बयान सुना ही नहीं”

विधायक रामचंद्र गौतम और राज्यसभा सदस्य रामकुमार जांगड़ा के विवादित बयान पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि उन्होंने वह बयान सुना ही नहीं है, इसलिए उस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

यह फैसला सरकार के उस बड़े विज़न के अनुरूप है जिसमें राज्य की जमीन नीति को आधुनिक जरूरतों के हिसाब से सरल और नागरिक-केंद्रित बनाया जा रहा है।

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