चंडीगढ़। हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की कथित आत्महत्या का मामला अब सियासी रंग ले चुका है। 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के अपने आवास पर गोली मारकर खुदकुशी करने वाले 2001 बैच के इस अधिकारी के सुसाइड नोट में 13-16 वरिष्ठ अफसरों के नाम हैं, जिन पर जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और करियर बर्बाद करने के गंभीर आरोप लगे हैं।
सबसे ज्यादा निशाना हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजरनिया पर बना है। इस बीच, सरकार ने डीजीपी को लंबी छुट्टी पर भेज दिया है, जबकि पोस्टमॉर्टम अब तक अटका हुआ है। आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी परिवार से मिलने चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं, जिससे बीजेपी सरकार में हड़कंप मच गया है।
सुसाइड नोट में खुलासे: उत्पीड़न की दास्तान
पूरन कुमार, जो रोहतक के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में आईजीपी थे, ने अपने 8-9 पेज के सुसाइड नोट में साफ लिखा कि सीनियर अफसरों ने उन्हें जानबूझकर तोड़ा। नोट के मुताबिक, 2022 में शाहजादपुर थाने के मंदिर दर्शन के बाद ही उत्पीड़न शुरू हो गया। पिता की मौत पर छुट्टी न मिलना, प्रमोशन में जातिगत भेदभाव, और हाल ही में रिश्वत के झूठे केस में फंसाने की साजिश—ये सब बातें उन्होंने नोट में गिनाईं। डीजीपी कपूर पर सबसे भारी आरोप हैं कि उन्होंने पूरन को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया और करियर खत्म करने की कोशिश की। रोहतक एसपी बिजरनिया पर भी मानहानि के आरोप हैं।
परिवार के वकील और पत्नी आईएएस अमनीत पी. कुमार ने बताया कि पूरन ने नोट में सिर्फ राजेश खुल्लर (सीएम के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी) को ही अपना हमदर्द बताया, जिन्होंने दो बार उनकी मदद की। अमनीत ने 8 अक्टूबर को जापान से लौटते ही चंडीगढ़ एसएसपी को शिकायत दी, जिसमें डीजीपी और एसपी समेत सभी नामितों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया। इसके बाद 9 अक्टूबर को सेक्टर-11 थाने में एफआईआर दर्ज हुई—बीएनएस की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(r) व 3(5) के तहत। 12 अक्टूबर को पत्नी की मांग पर एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(v) जोड़ी गई, जो उम्रकैद की सजा का प्रावधान करती है।
जांच में देरी: पोस्टमॉर्टम क्यों अटका?
मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए चंडीगढ़ पुलिस ने 10 अक्टूबर को 6 सदस्यीय एसआईटी गठित की, जिसके हेड आईजी पुश्पेंद्र कुमार हैं। टीम में एसएसपी कंवरदीप कौर, एसपी सिटी केएम प्रियंका समेत अफसर हैं। रोहतक में 11 अक्टूबर से जांच तेज हो गई। हरियाणा सरकार को बीएनएसएस धारा 94 के तहत नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे गए हैं, और साक्ष्य एफएसएल भेजे जा चुके हैं। लेकिन पोस्टमॉर्टम पर अब तक सहमति नहीं बनी।
परिवार का कहना है कि शव को जीएमएसएच-16 से पीजीआईआईआर मोर्चरी में बिना बताए शिफ्ट किया गया। वे गिरफ्तारी और कार्रवाई तक अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। 12 अक्टूबर को हरियाणा के मंत्री कृष्ण लाल पंवार, कृष्ण कुमार बेदी, चीफ सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी और राजेश खुल्लर परिवार से मिले, लेकिन सहमति नहीं बनी।
हरियाणा सरकार ने रोहतक एसपी बिजरनिया को 11 अक्टूबर को ट्रांसफर कर दिया—नए एसपी सूरिंदर सिंह भोरिया हैं। डीजीपी कपूर को 13 अक्टूबर को लंबी छुट्टी पर भेजा गया, ताकि जांच प्रभावित न हो। सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा, “चाहे आरोपी कितना भी बड़ा हो, बख्शा नहीं जाएगा। निष्पक्ष जांच होगी।” लेकिन परिवार और 31 सदस्यीय ‘शहीद वाई पूरन कुमार न्याय संघर्ष मोर्चा’ ने 13 अक्टूबर को चंडीगढ़ में महापंचायत की, जिसमें डीजीपी की गिरफ्तारी की मांग की गई।
सियासी तड़का: राहुल का दौरा, मोदी का प्रोग्राम कैंसल
इस केस ने राजनीति को गरमा दिया। कांग्रेस ने इसे “जातिगत जहर” का प्रतीक बताया। 9 अक्टूबर को राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “पूरन कुमार की मौत सामाजिक विष का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा है।” सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने अमनीत को शोक पत्र लिखा। आज 14 अक्टूबर को राहुल शाम 5:15 बजे चंडीगढ़ पहुंचकर परिवार से मिलेंगे। कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल पर पोस्ट है, “नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कल दिवंगत आईपीएस पूरन कुमार के परिवार से संवेदना व्यक्त करेंगे।”
राहुल के दौरे से बीजेपी में खलबली मच गई। 17 अक्टूबर को सोनीपत के राई में पीएम मोदी का दौरा रद्द हो गया। सीएम सैनी ने अपना दिल्ली प्रोग्राम कैंसल कर दिया। तेलंगाना के डिप्टी सीएम मल्लू भट्टी विक्रमarka ने परिवार से मिलकर कहा, “ये दर्दनाक घटना है, दोषियों पर तुरंत एक्शन लें।” हरियाणा आईएएस एसोसिएशन ने भी सरकार से संवेदनशीलता बरतने की अपील की।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
जांच के जानकारों का मानना है कि सुसाइड नोट की फोरेंसिक जांच और गवाहों के बयान ही सच्चाई उजागर करेंगे। लेकिन जातिगत भेदभाव के आरोप पुलिस महकबे में सवाल खड़े कर रहे हैं। पूर्व आईपीएस अफसरों ने कहा कि प्रमोशन में अनियमितताएं और एससी अफसरों के साथ भेदभाव पुरानी समस्या है। पूरन ने अप्रैल 2024 में सीएम को पत्र लिखकर 1991-2005 बैच के अवैध प्रमोशन का जिक्र किया था।
ये मामला न सिर्फ पुलिस सुधार की मांग उठा रहा है बल्कि पूरे सिस्टम में जातिवाद की जड़ों को उखाड़ने की जरूरत बता रहा है। परिवार न्याय की उम्मीद में खड़ा है, और जांच टीम पर नजरें टिकी हैं। अपडेट्स के लिए बने रहें।

