नारनौल में खामोशी तोड़ते सायरन: NH-152D पर दिल दहला देने वाला हादसा, तीन की मौत

  • नारनौल के NH-152D पर भीषण दुर्घटना, कार में आग लगने से तीन की मौत
  • एडवोकेट, व्यापारी और टैक्सी चालक हादसे के शिकार; परिवार में कोहराम
  • कैंटर चालक टक्कर के बाद फरार, पुलिस ने जांच तेज की
  • स्थानीय लोगों में आक्रोश, हाईवे सुरक्षा पर उठे सवाल

हरियाणा के नारनौल में बीती रात एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। नेशनल हाईवे 152-डी पर टोल प्लाजा से कुछ दूरी पहले एक तेज रफ्तार कैंटर ने कीया कार को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर के धक्के से कार पलटते ही उसमें आग भड़क उठी। कुछ ही मिनटों में आग ने कार को पूरी तरह अपनी गिरफ्त में ले लिया और अंदर मौजूद तीनों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

इस दौरान हाईवे पर गुजरने वाले लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले कार की लपटें आसमान तक उठ चुकी थीं। हादसे का समय रात करीब ढाई बजे बताया जा रहा है।

कौन थे कार में सवार तीनों लोग: मरने वालों की पहचान गांव नीरपुर निवासी राजकुमार यदुवंशी, रविदत्त उर्फ दारा सिंह और टैक्सी चालक प्रवीण उर्फ पौमी के रूप में हुई है। तीनों किसी काम से बाहर गए थे और रात के सन्नाटे में घर लौट रहे थे।

राजकुमार यदुवंशी पेशे से एडवोकेट थे और पहले जिला पार्षद रह चुके थे। रविदत्त नारनौल में कपड़ों का बड़ा व्यवसाय चलाते थे, जबकि प्रवीण टैक्सी चलाकर परिवार का सहारा थे।

इनकी अचानक मौत ने दो परिवारों के सहारे छीन लिए और एक घर का चिराग बुझा दिया। गांव में सुबह से ही पसरा सन्नाटा इस त्रासदी की गहराई बयान करता है।

लपटों से बच निकलना नामुमकिन था: प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार का दरवाजा तक लॉक हो गया और अंदर बैठे लोगों के पास निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा। धुआं और आग फैलने से पहले वो अंदर ही फंस गए। दमकल कर्मियों ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया और तीनों शव बाहर निकाले। पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए नागरिक अस्पताल भेज दिया है।

कैंटर चालक की तलाश जारी: घटना के बाद कैंटर चालक मौके से फरार हो गया। पुलिस ने हाईवे पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में तेज गति और लापरवाही को हादसे की मुख्य वजह माना जा रहा है। फिलहाल चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस तलाश में जुटी है।

शहर में शोक, परिवारों की आंखों में सवाल: नारनौल और नीरपुर में आज हर दरवाज़े पर एक ही सवाल है—क्या थोड़ा सा एहतियात तीन जिंदगियां बचा सकता था? स्थानीय लोग इसे महज एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की खामियों और तेज रफ्तार की अनियंत्रित संस्कृति का परिणाम बता रहे हैं।

राजकुमार के परिवार में उनके बेटे का रोना और प्रवीण के घर में सन्नाटा किसी को भी अंदर तक तोड़ देने के लिए काफी है।

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