जेल में बंद रामपाल को ‘किसान रत्न’ सम्मान, हिसार के डाया गांव में बड़ा आयोजन
हिसार के डाया गांव में भारतीय किसान यूनियन (अमावता) ने जेल में बंद सतलोक आश्रम प्रमुख रामपाल को ‘किसान रत्न’ सम्मान दिया। प्रतिमा स्थापना, लघु फिल्म और किसानों की मदद के दावों के साथ चार घंटे तक कार्यक्रम चला।
- हिसार के डाया गांव में किसान संगठन का बड़ा आयोजन
- जेल में बंद रामपाल को दिया गया ‘किसान रत्न’ सम्मान
- प्रतिमा स्थापना और प्रतीकात्मक सम्मान ने खींचा ध्यान
- किसानों के लिए किए गए कार्यों को बताया गया आधार
Haryana News: हिसार जिले के डाया गांव में शनिवार का दिन आम दिनों जैसा नहीं था। गांव के बीचों-बीच खेतों और किसान मुद्दों की चर्चा के बीच एक ऐसा आयोजन हुआ जिसने इलाके में राजनीतिक और सामाजिक हलचल बढ़ा दी।
भारतीय किसान यूनियन (अमावता) की ओर से सतलोक आश्रम प्रमुख और जेल में बंद रामपाल को किसान रत्न सम्मान दिया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सुबह करीब 10 बजे शुरू हुआ यह कार्यक्रम देखते ही देखते एक बड़े आयोजन में बदल गया।
मंच, पंडाल और आसपास के इलाकों में किसानों की मौजूदगी साफ दिख रही थी।
आयोजकों ने गांव में रामपाल की प्रतिमा स्थापित की जिसे खास तौर पर तैयार किए गए सिंहासन पर बैठाया गया।
रामपाल की प्रतिमा के सामने ही उनको प्रतिमा के साथ प्रतीकात्मक तौर पर हल, गदा और एक पेंटिंग भी भेंट की गई। इस पेंटिंग में रामपाल को खेत में हल चलाते हुए दर्शाया गया है।
आयोजकों का कहना था कि यह चित्र उनके किसान-समर्थक कामों का प्रतीक है। इस दृश्य ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों का खासा ध्यान खींचा।
आयोजन की कमान भारतीय किसान यूनियन (अमावता) के प्रदेश अध्यक्ष दिलबाग सिंह हुड्डा के हाथ में थी।
मंच से रामपाल के जनहित कार्यों पर आधारित एक लघु फिल्म दिखाई गई जिसमें किसानों से जुड़े उनके प्रयासों को प्रमुखता से दिखाया गया।
इसके बाद उनके पुराने प्रवचनों के अंश भी चलाए गए।
कार्यक्रम करीब चार घंटे तक चला और इस दौरान माहौल पूरी तरह किसान मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता रहा।
आयोजकों का दावा रहा कि रामपाल ने हिसार क्षेत्र के लगभग 300 बाढ़ प्रभावित गांवों में किसानों की मदद कराई है।
यूनियन के अनुसार किसानों के हित में करोड़ों रुपये खर्च किए गए, और इसी योगदान को आधार बनाकर उन्हें यह सम्मान दिया गया।
सम्मान समारोह में रामपाल के परिवार की मौजूदगी भी चर्चा में रही। उनके भाई महेंद्र सिंह और बेटे वीरेंद्र व मनोज कार्यक्रम में पहुंचे।
मंच से परिवार की ओर से कोई औपचारिक संबोधन नहीं हुआ, लेकिन उनकी मौजूदगी ने आयोजन को भावनात्मक रंग जरूर दिया।
डाया गांव में हुए इस कार्यक्रम को लेकर क्षेत्र में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
किसान संगठनों के बीच यह आयोजन चर्चा का विषय बना हुआ है और आने वाले दिनों में इसके राजनीतिक और सामाजिक असर पर भी नजर रखी जा रही है।
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