नई दिल्ली, 24 सितंबर 2025. केंद्र सरकार ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) की नई योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अगले पांच साल में 2277.397 करोड़ रुपये खर्च कर देश में रिसर्च और नवाचार को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जाएगा. यह योजना 2021-22 से 2025-26 तक चलेगी और इसका मकसद भारत को वैश्विक रिसर्च का पावरहाउस बनाना है.
युवा वैज्ञानिकों को मिलेगा बढ़ावा
इस योजना का फोकस देश के युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करना है. राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों और उत्कृष्टता केंद्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और गणित (STEMM) के क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिलेगा. इससे न केवल नए शोधकर्ताओं को मौका मिलेगा, बल्कि भारत की वैज्ञानिक खोजों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी.
वैश्विक रैंकिंग में भारत की नजर
भारत पहले ही वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) में 39वें स्थान पर है, और वैज्ञानिक पत्र प्रकाशन में तीसरे नंबर पर. इस योजना से भारत की यह स्थिति और मजबूत होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल भारत को वैज्ञानिक प्रकाशनों में शीर्ष देशों में और ऊपर ले जाएगी, जिससे वैश्विक मंच पर भारत की साख बढ़ेगी.
सतत विकास की ओर कदम
यह योजना सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने में भी मदद करेगी. खास तौर पर, प्रति मिलियन जनसंख्या में शोधकर्ताओं की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. चार उप-योजनाओं- डॉक्टरल और पोस्टडॉक्टोरल फैलोशिप, एक्स्ट्राम्यूरल रिसर्च, एमेरिटस साइंटिस्ट और भटनागर फैलोशिप- के जरिए यह योजना लागू होगी.
विशेषज्ञों ने की तारीफ
वैज्ञानिक समुदाय ने इस कदम को ऐतिहासिक बताया है. एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, “यह योजना नई प्रतिभाओं को मौका देगी और भारत को 21वीं सदी का वैज्ञानिक लीडर बनाएगी.” यह कदम न केवल रिसर्च की गुणवत्ता बढ़ाएगा, बल्कि नए आविष्कारों को भी प्रोत्साहित करेगा.
सरकार का विजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को भारत के नवाचार तंत्र को मजबूत करने वाला कदम बताया. उनका कहना है कि यह भारत को वैश्विक वैज्ञानिक मंच पर नई पहचान दिलाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि भारतीय विज्ञान दुनिया में सबसे आगे हो, और यह योजना उस दिशा में एक बड़ा कदम है.

