इंडिगो संकट पर सरकार की कड़ी कार्रवाई: 10% रूट कटे, CEO तलब—यात्रियों की परेशानियों पर सख्त रुख
पिछले सप्ताह इंडिगो (IndiGo) में अचानक पैदा हुई ऑपरेशनल अव्यवस्था ने देश के एयर ट्रैवल सिस्टम की कमजोरियों को फिर से उजागर कर दिया। हजारों यात्री घंटों एयरपोर्ट पर फंसे रहे—किसी की connecting flight छूट गई, किसी का बैग गायब हो गया, तो कई यात्री गलत सूचना के चलते बिना वजह कतारों में खड़े रहे। सोशल मीडिया पर गुस्से की तेज़ लहर दौड़ी और शिकायतें इतनी बढ़ीं कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Civil Aviation Ministry) को सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा।
मंत्रालय का कड़ा रुख: एयरलाइन को साफ-साफ चेतावनी
स्थिति बिगड़ते देख मंत्रालय ने तुरंत जांच शुरू की और इंडिगो प्रबंधन को तलब किया। एयरलाइन के CEO पीटर एल्बर्स समीक्षा बैठक में पहुंचे, जहां उनसे पूछा गया कि इतनी बड़ी चूक आखिर हुई कैसे। एल्बर्स ने बताया कि 6 दिसंबर तक प्रभावित यात्रियों को 100% रिफंड (Refund) जारी कर दिया गया है।
लेकिन मंत्रालय इससे संतुष्ट नहीं दिखाई दिया। उसका कहना था कि रिफंड और बैगेज संबंधी सभी लंबित मामलों को तुरंत निपटाया जाए, क्योंकि यात्री-सुविधा किसी भी स्थिति में समझौता करने का विषय नहीं है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बैठक के बाद बताया, “एयरलाइन को भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बनने देने की ठोस योजना पेश करनी होगी।”
10% रूट कटौती: इंडिगो पर सीधा असर
मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए इंडिगो के कुल रूट नेटवर्क में 10% की कटौती का आदेश जारी कर दिया। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि एयरलाइन अपने संचालन को स्थिर कर सके और रद्दीकरणों की बढ़ती संख्या पर काबू पाया जा सके।
हालांकि मंत्रालय ने यह शर्त भी जोड़ दी कि रूट कम होने के बावजूद सभी डेस्टिनेशन्स की सर्विस जारी रहेगी। यानी उड़ानों की संख्या घटेगी, लेकिन शहरों को जोड़ने वाला नेटवर्क टूटने नहीं दिया जाएगा।
किराया, रिफंड और पारदर्शिता पर सख्त गाइडलाइन
सरकार ने इंडिगो को याद दिलाया है कि उसे किराया नियंत्रण (fare capping), पारदर्शी सूचना प्रणाली, समय पर रिफंड और बैगेज हैंडलिंग जैसी गाइडलाइनों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है।
मंत्रालय ने संकेत दिए कि अगर नियमों का पालन नहीं हुआ तो अगला कदम और सख्त हो सकता है।
एविएशन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई केवल इंडिगो के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए एक स्पष्ट संदेश है—यात्रियों के हित सर्वोच्च हैं, और उनसे समझौता किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इस श्रेणी की और खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें: भारत



