जम्मू-कश्मीर भूमि घोटाला: चार वरिष्ठ राजस्व अधिकारियों समेत 5 के खिलाफ चार्जशीट, रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप
जम्मू-कश्मीर के हाई-प्रोफाइल भूमि घोटाले में क्राइम ब्रांच ने चार वरिष्ठ राजस्व अधिकारियों समेत पांच आरोपियों के खिलाफ श्रीनगर की भ्रष्टाचार निरोधक अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। मामला जमीन की दोबारा बिक्री और रिकॉर्ड में हेराफेरी से जुड़ा है।
- बड़ा खुलासा: सरकारी अफसरों की मिलीभगत से जमीन का खेल
- एक जमीन, दो मालिक! रिकॉर्ड बदलकर रची गई बड़ी साजिश
- चार्जशीट दाखिल होते ही हड़कंप, अब बचना मुश्किल
जम्मू-कश्मीर में चर्चित भूमि घोटाले के एक बड़े मामले में अब कार्रवाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजस्व विभाग के चार वरिष्ठ अधिकारियों समेत कुल पांच आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। मामला सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी कर जमीन को दोबारा बेचने से जुड़ा है।
क्राइम ब्रांच कश्मीर की आर्थिक अपराध शाखा ने यह चार्जशीट एफआईआर संख्या 08/2021 के तहत दाखिल की है, जिसे भ्रष्टाचार निवारण से जुड़े गंभीर प्रावधानों में दर्ज किया गया था। यह चार्जशीट श्रीनगर की विशेष भ्रष्टाचार निरोधक अदालत में पेश की गई है।
किन अधिकारियों पर लगे आरोप
चार्जशीट में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें उस समय के तहसीलदार सेटलमेंट, श्रीनगर नुसरत अज़ीज़, तत्कालीन तहसीलदार साउथ श्रीनगर शाहबाज़ बोधा, उस वक्त बालहामा एस्टेट में तैनात पटवारी मोहम्मद यासीन काला और सेटलमेंट श्रीनगर में पदस्थ रहे पटवारी आशिक अली शामिल हैं। इसके अलावा जमीन कारोबारी रियाज़ अहमद भट को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है।
कैसे सामने आया पूरा मामला
यह केस एक शिकायत से शुरू हुआ था, जिसमें शिकायतकर्ताओं ने दावा किया था कि उन्होंने बालहामा, श्रीनगर में स्थित जमीन के दो प्लॉट वैध रजिस्टर्ड सेल डीड के जरिए खरीदे थे। जमीन का कब्जा उन्हें सौंप दिया गया था और संबंधित म्यूटेशन भी कानूनी रूप से उनके पक्ष में दर्ज कर दिए गए थे।
कुछ समय बाद शिकायतकर्ताओं को तब झटका लगा, जब उन्हें पता चला कि वही जमीन दोबारा किसी और को बेच दी गई है और उनके नाम दर्ज म्यूटेशन रिकॉर्ड से हटा दिए गए हैं।
जांच में क्या निकला सामने
जांच के दौरान सामने आया कि जमीन विक्रेता ने राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ कथित आपराधिक साजिश के तहत सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी की। वैध म्यूटेशन को गैरकानूनी तरीके से रद्द कराया गया और जमीन का मालिकाना हक फिर से विक्रेता के नाम दर्ज कर दिया गया।
जांच एजेंसी के अनुसार, इस हेरफेर के जरिए उसी जमीन को दोबारा बेचने का रास्ता साफ किया गया, जिससे शिकायतकर्ताओं को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और आरोपियों को अवैध लाभ मिला।
पोस्टिंग से पहले के दस्तावेज भी इस्तेमाल
क्राइम ब्रांच की जांच में यह भी सामने आया कि कुछ म्यूटेशन ऐसे दस्तावेजों के आधार पर दर्ज किए गए, जिनकी तारीखें पीछे की थीं। उस समय संबंधित अधिकारी उस तहसील या एस्टेट के अधिकार क्षेत्र में तैनात भी नहीं थे, फिर भी रिकॉर्ड में बदलाव किया गया।
अदालत में पेश हुई चार्जशीट
जांच एजेंसी ने बताया कि सरकारी रिकॉर्ड और दस्तावेजी सबूतों के आधार पर पर्याप्त सामग्री जुटाई गई है, जो संज्ञेय अपराध को साबित करती है। इसी आधार पर विशेष भ्रष्टाचार निरोधक अदालत, श्रीनगर में चार्जशीट दाखिल की गई है।
क्राइम ब्रांच कश्मीर ने दोहराया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और नागरिकों के वैध संपत्ति अधिकारों की रक्षा उसकी प्राथमिकता है, और ऐसे मामलों में आगे भी सख्त रुख अपनाया जाएगा।
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