MP में प्रशासनिक नक्शा बदलेगा? नया संभाग, 3 जिले और भोपाल में बड़ी तैयारी

मध्य प्रदेश में प्रशासनिक पुनर्गठन की प्रक्रिया निर्णायक दौर में है। नया संभाग, तीन नए जिले और भोपाल में तहसीलों के पुनर्गठन की संभावना है। 31 दिसंबर की समयसीमा के चलते फैसले पर सबकी नजरें टिकी हैं।

MP Breaking News: मध्य प्रदेश में प्रशासनिक नक्शा बदलने की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग की कवायद सिर्फ फाइलों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसका असर जिलों, तहसीलों और संभागों की जमीनी हकीकत पर पड़ सकता है। संकेत साफ हैं कि अगर तय समयसीमा के भीतर फैसला हो गया, तो प्रदेश को एक नया संभाग और तीन नए जिले मिल सकते हैं, वहीं राजधानी भोपाल की प्रशासनिक संरचना भी नए सिरे से गढ़ी जाएगी।

दरअसल, आयोग पिछले एक साल से जिले-दर-जिले बैठकें कर रहा है। इन बैठकों में सिर्फ नक्शे नहीं खोले गए, बल्कि जनसंख्या का दबाव, भौगोलिक दुश्वारियां और रोजमर्रा की प्रशासनिक परेशानियां भी टेबल पर रखी गईं। आयोग का तर्क है कि जनगणना से पहले सीमाओं का निर्धारण अनिवार्य है, वरना अगले कई साल तक किसी भी बदलाव की गुंजाइश नहीं बचेगी। यही वजह है कि सीमांकन की रफ्तार तेज कर दी गई है।

इस पूरी कवायद में तकनीकी सटीकता पर भी खास जोर है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (IIPA) के सहयोग से ड्रोन और सैटेलाइट सर्वे कराए जा रहे हैं, ताकि सीमाओं को लेकर भविष्य में कोई विवाद न रहे। सर्वे के बाद तैयार होने वाली विस्तृत रिपोर्ट पर न सिर्फ विशेषज्ञों की राय ली जाएगी, बल्कि नागरिकों और जनप्रतिनिधियों के सुझाव भी दर्ज किए जाएंगे। इसके बाद ही अंतिम प्रस्ताव सरकार के सामने रखा जाएगा।

फिलहाल जिन इलाकों पर सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें पिपरिया, बीना और सिहोरा शामिल हैं। पिपरिया नर्मदापुरम जिले का हिस्सा है, लेकिन जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर की दूरी और पहाड़ी रास्तों के कारण यहां के लोगों को आज भी दो घंटे की यात्रा करनी पड़ती है। यही वजह है कि पिपरिया को जिला बनाने की मांग समय-समय पर सड़कों पर उतरती रही है।

सिहोरा की कहानी और भी लंबी है। जबलपुर जिले की इस तहसील को जिला बनाने की मांग करीब 22 साल पुरानी है। हाल के महीनों में आंदोलन ने भावनात्मक मोड़ ले लिया, जब स्थानीय लोगों ने खून से दीपक जलाकर अपनी बात रखी। अब चेतावनी दी जा रही है कि यदि जल्द निर्णय नहीं हुआ, तो अन्न-जल त्याग कर आमरण सत्याग्रह किया जाएगा।

बुंदेलखंड की बीना तहसील भी लंबे समय से जिला बनने का इंतजार कर रही है। राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर अलग-अलग दावे होते रहे हैं, लेकिन अब आयोग की रिपोर्ट के चलते इस मांग को एक बार फिर गंभीरता से देखा जा रहा है।

इसी बीच, निमाड़ को प्रदेश का 11वां संभाग बनाने की तैयारी भी चर्चा में है। यदि यह प्रस्ताव मंजूर हुआ, तो खरगोन, बड़वानी, खंडवा और बुरहानपुर जैसे जिले इसमें शामिल हो सकते हैं। अभी इन जिलों के लोगों को राजस्व और अपील संबंधी कामों के लिए इंदौर जाना पड़ता है, जिससे समय और पैसे दोनों का बोझ बढ़ता है। नया संभाग बनने से प्रशासनिक दूरी कम होने की उम्मीद है।

राजधानी भोपाल में भी बदलाव की आहट है। अभी यहां तीन तहसीलें हैं, लेकिन प्रस्तावित पुनर्गठन के बाद पुराना भोपाल, संत हिरदाराम नगर, एमपी नगर, गोविंदपुरा और टीटी नगर जैसी नई तहसीलों का गठन किया जा सकता है। इससे आबादी के हिसाब से प्रशासनिक कामकाज को संतुलित करने की योजना है।

रीवा और मैहर की सीमाओं को लेकर भी हलचल तेज है। अमरपाटन तहसील के छह गांवों को रीवा में शामिल करने के प्रस्ताव पर राजनीतिक विरोध सामने आया है। तर्क दिया जा रहा है कि इससे मैहर जिले का भौगोलिक और सांस्कृतिक संतुलन प्रभावित होगा।

इन तमाम चर्चाओं के बीच एक समयसीमा सबसे अहम है—31 दिसंबर 2025। मुख्य सचिव अनुराग जैन के निर्देश हैं कि इसी तारीख तक सभी जरूरी परिवर्तन पूरे कर लिए जाएं। इसके बाद प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज कर दी जाएंगी और जनगणना तक कोई बदलाव संभव नहीं होगा। यदि तय वक्त तक नए जिले या संभाग अस्तित्व में नहीं आए, तो फिर यह प्रक्रिया मार्च 2027 के बाद ही आगे बढ़ पाएगी।

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