2026 से बदल जाएगी नौकरी की दुनिया! केंद्र सरकार ला रही है 4 नए लेबर कोड, गिग वर्कर्स से लेकर महिलाओं तक सबको बड़े फायदे
देश के मजदूरों और कर्मचारियों के लिए बड़ा अपडेट: अगले वित्तीय वर्ष से पूरे भारत में बदल जाएगी लेबर वर्ल्ड—महिलाओं, गिग वर्कर्स और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को मिलेगा ‘गारंटीड सुरक्षा कवच’
दिल्ली। भारत की लेबर व्यवस्था में दशकों बाद सबसे बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने 29 पुराने लेबर कानूनों को खत्म कर उन्हें चार नए व्यापक लेबर कोड में बदल दिया है—और ये बदलाव सिर्फ कागज पर नहीं रहने वाले। श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया के अनुसार, इन कोड्स को लागू करने की दिशा में फाइनल प्रोसेस शुरू हो चुका है और अप्रैल 2026 से पूरा देश नए लेबर स्ट्रक्चर में काम करेगा।
सरकार बहुत जल्द इन कोड्स के ड्राफ्ट रूल्स प्री-पब्लिश कर देगी, जिसके बाद 5 दिनों तक जनता और स्टेकहोल्डर्स अपने सुझाव भेज सकेंगे। इसके बाद ही फाइनल नोटिफिकेशन जारी होगा।
क्यों कहा जा रहा है इसे देश का सबसे बड़ा लेबर रिफॉर्म?
पहले भारत में 29 अलग-अलग लेबर लॉज होने से न सिर्फ कर्मचारियों में भ्रम रहता था, बल्कि कंपनियों को भी अनुपालन में मुश्किलें आती थीं। अब इन्हें चार आसान और व्यापक कोड में समेटा गया है—
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वेजेज कोड
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इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड
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सोशल सिक्योरिटी कोड
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सेफ्टी-हेल्थ वर्किंग कंडीशंस (OSHWC) कोड
इन नए कोड्स में सबसे बड़ा फोकस उन लोगों पर है, जो अब तक देश की अर्थव्यवस्था का हिस्सा तो थे, लेकिन सुरक्षा से दूर—जैसे अनौपचारिक सेक्टर के मजदूर, प्रवासी श्रमिक, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स तथा महिलाएं।
ग्रेच्युटी का पूरा खेल बदल गया—अब 1 साल में हकदारी
नए नियमों में सबसे बड़ा बदलाव फिक्स्ड-टर्म और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए है।
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पहले ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल लगातार नौकरी जरूरी थी।
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अब सिर्फ 1 साल सेवा करने वाले फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी भी ग्रेच्युटी के हकदार होंगे।
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कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को भी स्थायी कर्मचारियों जैसी ही ग्रेच्युटी मिलेगी, और प्रिंसिपल एम्प्लॉयर इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं पाएगा।
यह फैसला उन लाखों युवाओं के लिए खास है, जो प्रोजेक्ट-बेस्ड नौकरियों पर काम करते हैं।
गिग वर्कर्स पहली बार ‘सिस्टम में दर्ज’—अब हेल्थ, एक्सीडेंट और लाइफ कवर अनिवार्य
उबर ड्राइवर, फूड डिलीवरी बॉय, ई-कॉमर्स पैकिंग स्टाफ और सभी प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार औपचारिक सामाजिक सुरक्षा मिलेगी।
एम्प्लॉयर्स को वेतन का 0.65% EDLI स्कीम में जमा करना होगा।
इससे इन वर्कर्स को मिलेगा—
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हेल्थ इश्योरेंस
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एक्सीडेंट कवर
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लाइफ और डिसएबिलिटी बेनिफिट
यानी गिग सेक्टर को पहली बार देश की मुख्य वर्कफोर्स की तरह सुरक्षा मिलेगी।
मैटरनिटी-पैटरनिटी बेनिफिट्स मजबूत—महिलाओं के लिए बड़ा कदम
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मैटरनिटी लीव बढ़ाकर 12 से 26 हफ्ते की गई।
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पहली बार 15 दिन की पैटरनिटी लीव और अडॉप्शन लीव भी शामिल की गई है।
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फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी भी 3 महीने की सेवा के बाद स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं पाएंगे।
यह बदलाव महिलाओं की वर्कफोर्स भागीदारी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
सैलरी स्ट्रक्चर बदलेगा—PF में ज्यादा, टेक-होम थोड़ी कम
नए नियमों में बेसिक सैलरी CTC का कम से कम 50% जरूरी होगी।
इससे कर्मचारियों का PF और ग्रेच्युटी मजबूत होगी, भले ही टेक-होम थोड़ा कम लगे।
ओवरटाइम से लेकर फुल एंड फाइनल तक—कर्मचारी ज्यादा सुरक्षित
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Earned Leave के लिए अब 240 नहीं, 180 दिन काम करना पर्याप्त होगा।
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ओवरटाइम का पेमेंट अब डबल देना अनिवार्य है।
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इस्तीफा या टर्मिनेशन—कंपनी को 2 वर्किंग डे में फुल एंड फाइनल देना होगा।
कब लागू होंगे नए कोड?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि सभी तैयारी पूरी होते ही अप्रैल 2026 से ये कोड पूरे भारत में लागू कर दिए जाएंगे।
यह बदलाव मजदूरों, छोटे कर्मचारियों, गिग वर्कर्स और महिलाओं के भविष्य को पूरी तरह बदलने वाला माना जा रहा है।
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