नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर के आखिरी हफ्ते में अमेरिका का दौरा कर सकते हैं। इस दौरान उनका मुख्य फोकस संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में हिस्सा लेना और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर व्यापार विवादों को सुलझाना होगा। सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेता एक अहम व्यापार समझौते पर सहमति बना सकते हैं, अगर मौजूदा अड़चनें दूर हो जाएं।
UNGA में भाषण और विश्व नेताओं से मुलाकात
भारत ने पीएम मोदी के लिए 26 सितंबर को सुबह UNGA में 15 मिनट के भाषण का समय तय किया है। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप 23 सितंबर को अपना भाषण देंगे। इसके अलावा, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने सोमवार को पीएम मोदी से फोन पर बात की और सितंबर में UNGA के दौरान मुलाकात की सहमति जताई। पीएम मोदी की इस यात्रा में अन्य विश्व नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें हो सकती हैं।
व्यापार समझौते पर जोर
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए दोनों देश “मिशन 500” के तहत 2030 तक 500 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। फरवरी में हुई मोदी-ट्रंप मुलाकात में दोनों देशों ने मल्टी-सेक्टर व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को इस साल पूरा करने की बात कही थी। हालांकि, ट्रंप मौजूदा मसौदे से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं, और नई शर्तों पर चर्चा जारी है।
वैश्विक मुद्दों पर भारत की भूमिका
पीएम मोदी ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और जेलेंस्की से बात की है। भारत का मानना है कि यूक्रेन युद्ध का समाधान दोनों देशों के हित में है। 15 अगस्त को ट्रंप और पुतिन की मुलाकात में इस मुद्दे पर चर्चा होगी। भारत ने दोनों पक्षों को शांति का संदेश दिया है और वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को रेखांकित किया है।
भारत-अमेरिका संबंधों में उतार-चढ़ाव
हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच कुछ तनाव देखा गया। ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया, जिसे भारत ने खारिज कर दिया। इसके बाद ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाए। फिर भी, दोनों देश रणनीतिक साझेदार हैं। सूत्रों का कहना है कि मोदी का यह दौरा रिश्तों को सामान्य करने और अक्टूबर में क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए ट्रंप की भारत यात्रा का रास्ता साफ करने में मदद करेगा।
इस दौरे से न सिर्फ भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा मिल सकती है, बल्कि वैश्विक शांति और व्यापार के क्षेत्र में भी भारत की भूमिका मजबूत होगी।
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