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केंद्र ने ठुकराई पुरानी पेंशन योजना की मांग, हिमाचल समेत कई राज्यों को झटका

by Saloni Yadav
केंद्र ने ठुकराई पुरानी पेंशन योजना की मांग, हिमाचल समेत कई राज्यों को झटका

नई दिल्ली/शिमला: केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को दोबारा लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि ओपीएस सरकारी खजाने पर भारी वित्तीय बोझ डालती है, इसलिए सरकार इसका समर्थन नहीं करेगी। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश समेत उन पांच राज्यों को बड़ा झटका लगा है, जिन्होंने ओपीएस लागू करने का फैसला लिया है।

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही ओपीएस लागू करने का ऐलान किया था। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) से हटने का फैसला लेते हुए पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को इसकी जानकारी दी। पीएफआरडीए की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल का 11,111.93 करोड़ रुपये का पेंशन फंड एनपीएस में जमा है। इसके अलावा, राजस्थान (50,884.11 करोड़), पंजाब (31,960.43 करोड़), छत्तीसगढ़ (22,499.80 करोड़) और झारखंड (14,368.67 करोड़) ने भी अपने फंड की वापसी की मांग की है।

लेकिन केंद्र ने साफ कर दिया है कि पीएफआरडीए अधिनियम 2013 और एनपीएस नियमों में जमा राशि वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। इस वजह से राज्यों की मांग अटकी हुई है। हिमाचल में यह मुद्दा गंभीर हो गया है, क्योंकि राज्य सरकार को अपने संसाधनों से पेंशन का भुगतान करना पड़ रहा है, जबकि जमा राशि केंद्र के पास फंसी है। इससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर दबाव बढ़ रहा है।

हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दोहराया है कि उनकी सरकार ओपीएस को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “यह फैसला कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद सम्मानजनक जीवन देने के लिए लिया गया है, न कि राजनीतिक लाभ के लिए।” सुक्खू ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नई पेंशन योजना को दोबारा लागू करने का दबाव बना रही है, लेकिन उनकी सरकार अपने फैसले पर अडिग रहेगी।

वहीं, विपक्षी दल भाजपा ने हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर खराब वित्तीय प्रबंधन का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है। भाजपा का कहना है कि ओपीएस लागू करने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर और बोझ पड़ेगा।

इस पूरे मामले से साफ है कि केंद्र और राज्यों के बीच पेंशन फंड को लेकर तनातनी बढ़ रही है। हिमाचल समेत अन्य राज्यों को अपनी मांग पूरी करने के लिए केंद्र के साथ लंबी कानूनी और प्रशासनिक लड़ाई लड़नी पड़ सकती है।

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