संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार (1 दिसंबर) को शुरू होते ही माहौल गरमा गया। पहले ही दिन विपक्षी दलों ने मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) पर तत्काल चर्चा की मांग उठाई लेकिन सरकार की सहमति न मिलने पर दोनों सदनों में हंगामा हुआ। कुछ ही देर में विपक्षी सांसद वॉकआउट करके बाहर आ गए और सरकार पर गंभीर मुद्दों से बचने का आरोप लगाया।
इसी भूचाल के बीच केंद्र सरकार ने इस सप्ताह ‘वंदे मातरम’ पर 10 घंटे की विशेष चर्चा कराने का फैसला ले लिया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस चर्चा के लिए समय अलॉट किया है और माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे।
वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह बहस प्रतीकात्मक रूप से बेहद अहम मानी जा रही है।
सरकार ने कहा— “राष्ट्रीय एकता का विषय”
सूत्रों के अनुसार, गुरुवार या शुक्रवार को लोकसभा में यह चर्चा कराई जाएगी। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की अगुवाई में हुई सर्वदलीय बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी थी, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने भी मंजूरी दे दी।
सरकार ने सभी दलों को इस बहस में शामिल होने का न्योता दिया है। उसके अनुसार, वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और साझा विरासत का प्रतीक है।
लेकिन विपक्ष फिलहाल इस चर्चा को लेकर ठंडा दिख रहा है। उनका आरोप है कि सरकार ‘भावनात्मक मुद्दों’ को आगे रखकर असली चिंताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
विपक्ष: “SIR पर पहले जवाब दो”
विपक्ष की मुख्य मांग है कि पहले देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे SIR पर बहस कराई जाए। साथ ही उन्होंने दिल्ली-NCR के गंभीर प्रदूषण हालात और हालिया आत्मघाती विस्फोट की घटना पर भी चर्चा की मांग रखी है।
राज्यसभा में रिजिजू ने साफ किया कि SIR पर चर्चा की मांग “खारिज नहीं की गई है” और सरकार किसी भी चुनावी सुधार पर बात करने से पीछे नहीं हट रही। लेकिन विपक्ष के अनुसार, जब तक SIR पर स्पष्ट तारीख नहीं मिल जाती, वे सरकार पर दबाव बनाए रखेंगे।
मदनी के बयान ने बढ़ाया राजनीतिक तापमान
इस बीच वंदे मातरम पर पहले से जारी विवाद में और गर्मी तब आ गई जब जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने भोपाल में बयान दिया कि
“मुर्दा कौमें सरेंडर करती हैं… अगर कहा जाएगा कि वंदे मातरम बोलो – तो वे बोल देंगी – जिंदा कौमें मुकाबला करती हैं।”
उनके इस बयान की राजनीतिक गलियारों में कड़ी आलोचना हुई। अब सरकार द्वारा वंदे मातरम पर विशेष चर्चा का फैसला लिए जाने को कई दल उसी विवाद का जवाब मान रहे हैं।
कुल मिलाकर…
सत्र की शुरुआत ही जिस तरह टकराव से भरी रही, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहसें देखने को मिलेंगी। वंदे मातरम पर सरकार की यह बड़ी पहल और SIR पर विपक्ष की जिद दोनों मिलकर शीतकालीन सत्र को खासा राजनीतिक रूप से गर्म कर सकते हैं।

