बांग्लादेश हिंदू युवक लिंचिंग: मुस्लिम नेता मदनी बोले- ‘शर्म से सिर झुक गया’, 12 गिरफ्तार लेकिन कट्टरवाद की आग क्यों भड़क रही?

बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग पर जमीयत प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने शर्म जताई, कट्टरवाद की निंदा की। अंतरिम सरकार ने 12 गिरफ्तारियां कीं, लेकिन अल्पसंख्यकों पर हमलों का सिलसिला चिंता बढ़ा रहा है।

  • जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने मुस्लिम भीड़ की कड़ी निंदा की: “हमें शर्म से सिर झुक जाना पड़ता है”
  • मदनी बोले- अगर अपराधी मुसलमान और पीड़ित गैर-मुस्लिम तो अपराध दोगुना, कट्टरवाद की लहर सबको जलाएगी
  • यूनुस सरकार का दावा: हिंसा के 12 आरोपी गिरफ्तार, नए बांग्लादेश में ऐसी घटनाओं की कोई जगह नहीं

ढाका/नई दिल्ली। बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में एक साधारण गारमेंट फैक्ट्री वर्कर दीपू चंद्र दास की बेरहम हत्या ने पूरे उपमहाद्वीप को झकझोर कर रख दिया है। 27 साल का दीपू जो अपने परिवार की इकलौती कमाई का सहारा था कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ की हिंसा का शिकार बना।

भीड़ ने उसे पीट-पीटकर मार डाला, शव को पेड़ से लटकाया और आग के हवाले कर दिया। यह घटना 18 दिसंबर की रात हुई जब देश भर में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद उपद्रव फैला हुआ था।

लेकिन इस जघन्य अपराध पर सबसे तल्ख और भावुक प्रतिक्रिया आई भारत की प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी से।

उन्होंने इसे शर्मनाक करार देते हुए कहा कि जब मुसलमान ऐसी हरकत करते हैं तो हमें शर्म से सिर झुक जाना पड़ता है। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है।

इस्लाम किसी को मारने या अपमानित करने की इजाजत हरगिज नहीं देता। अगर अपराधी मुसलमान है और पीड़ित गैर-मुस्लिम तो यह अपराध दोगुना हो जाता है।

मदनी ने चेतावनी दी कि पूरे दक्षिण एशिया में कट्टरवाद की लहर बढ़ रही है जिसे रोकना अब जरूरी हो गया है। नहीं तो यह आग सबको जलाएगी।

उधर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने त्वरित कार्रवाई का दावा करते हुए बताया कि रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) और पुलिस ने अलग-अलग छापों में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है।

गिरफ्तार आरोपियों की उम्र 19 से 46 साल के बीच है। यूनुस ने सोशल मीडिया पर लिखा कि नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा की कोई जगह नहीं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

यह घटना शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों की उस श्रृंखला की याद दिलाती है, जो 2024 से जारी है।

विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक अस्थिरता और कट्टर ताकतों के उभार ने सामाजिक सद्भाव को गहरी चोट पहुंचाई है। दीपू के पिता रविलाल दास की आंखों में निराशा साफ झलकती है। वे कहते हैं हमारे जैसे छोटे लोग कहां न्याय मांगें?

मदनी की यह आवाज एक उम्मीद की किरण है कि मुस्लिम समाज खुद इस कट्टरता के खिलाफ खड़ा हो रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह गिरफ्तारियां सिर्फ दिखावा हैं या असल में न्याय मिलेगा? बांग्लादेश की यह आग अगर नहीं बुझी तो पड़ोसी देशों तक इसका धुआं पहुंचना तय है।

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