नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिनतो ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में एक ऐसा भाषण दिया जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। अपने 45 मिनट के भाषण में उन्होंने न केवल इज़राइल को मान्यता देने की वकालत की बल्कि हमास की कार्यवाहियों पर भी सख्त टिप्पणी की। सुबिनतो ने कहा कि 7 अक्टूबर, 2023 की घटनाओं को भुलाया नहीं जा सकता और मुस्लिम देशों को हमास से बंधकों की रिहाई की मांग करनी चाहिए।
हमास की कार्यवाहियों पर सख्त टिप्पणी
राष्ट्रपति प्रबोवो ने साफ शब्दों में कहा, “क्या कोई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी किसी बच्ची का बलात्कार कर सकता है? क्या वह बच्चों और बुजुर्गों को कत्ल कर सकता है?” उन्होंने इंडोनेशिया के कोलोनियल अतीत का उदाहरण देते हुए कहा कि जब देश डच शासन के तहत था तब भी इंडोनेशियाई लोगों ने किसी डच लड़की का बलात्कार नहीं किया। सुबिनतो ने जोर देकर कहा कि सभी मुस्लिम देशों को एक सुर में हमास से बंधकों की रिहाई की मांग करनी चाहिए।
यह दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिनतो हैं जो खुद मुस्लिम है
इन्होंने 45 मिनट तक यूनाइटेड नेशन में भाषण दिया
और उनकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि उन्होंने अपने वोट बैंक की चिंता किए बगैर एक कड़वी सच्चाई तमाम मुस्लिम देशों के… pic.twitter.com/6xUwh44RrV
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) September 24, 2025
इज़राइल को मान्यता देने की अपील
सुबिनतो ने दुनिया से अपील की कि इज़राइल को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा “बगैर इज़राइल को स्वतंत्र देश के रूप में स्वीकार किए क्षेत्र में शांति की उम्मीद नहीं की जा सकती।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इज़राइल की सुरक्षा सुनिश्चित करना शांति की कुंजी है।
राष्ट्रपति ने आलोचना की कि दुनिया सिर्फ इज़राइल को ही दोषी ठहरा रही है जबकि असली समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ इज़राइल इज़राइल इज़राइल कर रहे हैं लेकिन हम असली समस्या पर बात नहीं कर रहे।” सुबिनतो का मानना है कि शांति के लिए दोनों पक्षों को समझना और स्वीकार करना होगा।
इस्लामी और यहूदी परंपराओं का सम्मान
अपने भाषण की शुरुआत में सुबिनतो ने इस्लामी परंपरा के अनुसार “सलाम वालेकुम” कहा, जबकि अंत में उन्होंने यहूदी परंपरा के अनुसार “सालोम” कहकर भाषण समाप्त किया। यह कदम उनकी निष्पक्षता और दोनों समुदायों के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
प्रबोवो सुबिनतो का यह भाषण कई मायनों में ऐतिहासिक है। एक मुस्लिम बहुल देश के नेता के रूप में उन्होंने वोट बैंक की चिंता किए बगैर सच बोलने की हिम्मत दिखाई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि दुनिया भर में इंसानियत और न्याय की आवाज़ उठाने का एक उदाहरण भी है। इस भाषण के बाद से ही सोशल मीडिया पर सुबिनतो की तारीफ हो रही है जबकि कुछ आलोचक उनके बयानों को विवादास्पद बता रहे हैं। हालांकि यह स्पष्ट है कि उनका संदेश शांति और सहअस्तित्व की ओर है।

