ढाका (बांग्लादेश): बांग्लादेश की पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया का ढाका के एवरकेयर अस्पताल में निधन! बेटे तारिक रहमान का भावुक संदेश

बांग्लादेश की पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया का ढाका के एवरकेयर अस्पताल में निधन हो गया। बेटे तारिक रहमान ने सोशल मीडिया पर भावुक संदेश लिखकर उन्हें लोकतंत्र की स्तंभ और अपने जीवन की सबसे बड़ी ताकत बताया। देशभर में शोक की लहर।

  • खालिदा जिया का 80 वर्ष की उम्र में ढाका में निधन, लंबे समय से बीमार थीं
  • बेटे तारिक रहमान बोले: “मां लोकतंत्र की मां थीं, आज देश अनाथ हो गया”
  • कठिन जीवन, अडिग संघर्ष; बार-बार गिरफ्तारी और राजनीतिक उत्पीड़न का सामना
  • देश-विदेश से शोक संदेश, समर्थकों से दुआ की अपील

ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और BNP चीफ बेगम खालिदा जिया के निधन के बाद पूरा देश शोक में है। उनकी लंबी बीमारी के बाद मंगलवार सुबह एवरकेयर अस्पताल में तबीयत बिगड़ने पर अंतिम सांस थम गई। उम्र थी 80 वर्ष। इस खबर ने राजनीति ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों की भावनाओं को भी झकझोर दिया है। BNP के कार्यकारी अध्यक्ष और उनके बेटे तारिक रहमान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक संदेश पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि उनकी मां अल्लाह के बुलावे पर इस दुनिया से विदा हो गईं। कुछ शब्दों में ही उनका दर्द साफ झलक रहा था। यह सिर्फ एक राजनेता को खोने का दर्द नहीं था बल्कि उस मां को खोने की तकलीफ थी जिसने निजी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर कठिन रास्ते चुने। तारिक रहमान ने अपने संदेश में याद दिलाया कि कैसे खालिदा जिया ने जीवनभर लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया। बार-बार की गिरफ्तारी, इलाज से वंचित किए जाने के आरोप, और राजनीतिक उत्पीड़न जैसी परिस्थितियां… लेकिन वह टूटी नहीं। एक पंक्ति जैसे दिल में उतर जाती है: “उन्होंने तानाशाही को चुनौती दी और अत्याचार के सामने झुकना नहीं सीखा।” सियासत से हटकर, तारिक ने अपने रिश्ते की तस्वीर भी सामने रखी। एक कोमल, संरक्षण देने वाली मां, जिनका साहस शांत था लेकिन अडिग। उन्होंने लिखा कि देश के लिए खालिदा जिया ने अपने पति और एक बेटे को खो दिया, फिर भी उनके अंदर की ताकत कभी कम नहीं पड़ी। निजी दर्द के बाद वह पूरे बांग्लादेश के लिए मां बन गईं। BNP ने पुष्टि की कि फज्र की नमाज के तुरंत बाद, सुबह करीब 6 बजे, अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। अस्पताल के बाहर समर्थकों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है। शोक, सम्मान और कभी खत्म ना होने वाले संघर्ष की कहानी, आज एक करवट लेकर शांत हो गई है। अपने संदेश के अंत में तारिक रहमान ने देशवासियों और दुनिया भर से जुड़े समर्थकों से अपनी मां की आत्मा की शांति के लिए दुआ करने की अपील की। साथ ही, हर उस व्यक्ति के प्रति आभार जताया जिसने उनके संघर्ष के दौरान साथ दिया। बांग्लादेश की सियासत आज बदल गई है। मगर खालिदा जिया की विरासत मिटने वाली नहीं। यह विरासत देशभक्ति, बलिदान और लोकतांत्रिक प्रतिरोध की मिसाल के रूप में आने वाली पीढ़ियों के लिए संदर्भ बनकर रहेगी।

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