India-Pak Clash: हरिपुर यूनिवर्सिटी से शहबाज शरीफ का बड़ा दावा, भारत को ‘कभी न भूलने वाला सबक’
मई में भारत-पाक सीमा संघर्ष को लेकर पाक पीएम शहबाज शरीफ ने हरिपुर यूनिवर्सिटी में फिर बड़े दावे किए। राफेल गिराने से लेकर पहलगाम हमले तक भारत पर आरोप, पुराने बयानों की भी याद दिलाती बयानबाजी करते नजर आये।
India-Pak Clash: भारत के साथ मई में हुए सीमित सैन्य टकराव की गूंज अब भी पाकिस्तान की राजनीति में सुनाई दे रही है। इस बार मंच बना खैबर पख्तूनख्वा के हरिपुर की यूनिवर्सिटी जहां प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने भाषण में भारत को लेकर बड़े-बड़े दावे कर दिए। शहबाज ने कहा कि इस संघर्ष में पाकिस्तान ने भारत को ऐसा सबक सिखाया है जिसे वह कभी नहीं भूल पाएगा।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपने बयान में सीधे तौर पर मोदी सरकार को निशाने पर लिया और दावा किया कि चार दिन तक चले इस संघर्ष में पाकिस्तानी सेना ने भारत के तीन राफेल सहित कुल छह लड़ाकू विमानों को मार गिराया। मंच से दिए गए इन बयानों में आत्मविश्वास से ज्यादा बेचैनी झलकती दिखी क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन दावों की कोई पुष्टि अब तक नहीं हुई है।
शहबाज शरीफ यहीं नहीं रुके। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर भारत पर झूठा आरोप लगाने का दावा किया। उनका कहना था कि भारत ने बिना सबूत पाकिस्तान को दोषी ठहराया और फिर सैन्य कार्रवाई की राह चुनी। पाक पीएम के इस बयान को घरेलू राजनीति के लिहाज से देखा जा रहा है, जहां सेना और सरकार दोनों को एक बार फिर ‘मजबूत’ दिखाने की कोशिश साफ नजर आती है।

यह पहला मौका नहीं है जब शहबाज शरीफ ने ऐसे दावे किए हों। इससे पहले सितंबर में भी उन्होंने भारत के सात विमान गिराने का दावा किया था। संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण में भी शहबाज ने पाकिस्तान की तथाकथित जीत की कहानी दुनिया के सामने रखने की कोशिश की थी, लेकिन तब भी उनके दावे सवालों के घेरे में रहे।
दरअसल, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया था। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। भारतीय वायुसेना ने सीमापार जाकर आतंकी ठिकानों और सैन्य ढांचे पर सटीक कार्रवाई की थी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस ऑपरेशन में कई आतंकी ठिकाने और एयरबेस तबाह किए गए थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के भीतर राजनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ने की स्थिति में ऐसे बयान अक्सर सामने आते हैं। हरिपुर यूनिवर्सिटी का मंच हो या संयुक्त राष्ट्र का मंच, शहबाज शरीफ की बयानबाजी एक ही पैटर्न की ओर इशारा करती है, जहां ज़मीनी हकीकत से ज्यादा ज़ोर कथित जीत की कहानी गढ़ने पर रहता है।
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