काठमांडू। नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों ने देश को अराजकता की आग में झोंक दिया है। मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बावजूद गुस्साए प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं। अब तक 20 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। सेना ने देश में नियंत्रण संभाल लिया है।
भ्रष्टाचार और बैन के खिलाफ उबाल
प्रदर्शन की शुरुआत सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंधों के विरोध से हुई थी। युवाओं का गुस्सा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और नेताओं की शानो-शौकत पर फूटा। सरकार ने प्रतिबंध हटा लिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नेताओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
हिंसा की भयावह तस्वीर
प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों और वाहनों को निशाना बनाया। काठमांडू में कई जगह आगजनी की खबरें हैं। कुछ मंत्रियों के घरों पर हमले हुए, जिनमें एक पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी को निशाना बनाने की अफवाहों ने माहौल को और गरमाया।
🚨 नेपाल में हालात बिगड़े!
PM के इस्तीफे के बाद भी सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन, 20 से ज्यादा मौतें। काठमांडू में कर्फ्यू, सेना ने संभाली कमान।
👉 वजह: भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और नेताओं पर गुस्सा।#Nepal #Violence #Kathmandu pic.twitter.com/0CwSTsNEjw— NFLSpice News (@NFLSpice) September 9, 2025
सेना का दखल, कर्फ्यू लागू
बेकाबू होती स्थिति को देखते हुए नेपाली सेना ने मंगलवार रात से कमान संभाली। सेना प्रमुख ने शांति की अपील की है। काठमांडू में कर्फ्यू लागू है, लेकिन कई इलाकों में इसे तोड़ा जा रहा है।

वैश्विक चिंता बढ़ी
संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग की है। नेपाल के इस संकट से अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि शांति के लिए सभी पक्षों को बातचीत की मेज पर आना होगा।
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