दिल्ली में 100 अटल कैंटीन लॉन्च: सिर्फ 5 रुपये में भरपेट खाना, रोज़ 1 लाख लोग मिटाएंगे अपनी भूख
दिल्ली सरकार ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर 100 अटल कैंटीन शुरू कीं। यहां सिर्फ 5 रुपये में पौष्टिक खाना मिलेगा। रोज़ाना लगभग 1 लाख लोग लाभान्वित होंगे। बायोमेट्रिक सिस्टम और CCTV निगरानी से पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
- दिल्ली में 100 अटल कैंटीन शुरू
- 5 रुपये में पौष्टिक थाली मिलेगी
- रोज़ाना 1 लाख लोगों को मिलेगा खाना
- बायोमेट्रिक सिस्टम से निगरानी
- दो टाइम भोजन मिलेगा
- आर्थिक रूप से कमजोर इलाकों को प्राथमिकता
- 100 करोड़ का बजट तय
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस (25 दिसंबर) पर दिल्ली सरकार ने एक बड़ी पहल की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को 100 अटल कैंटीनों का उद्घाटन किया जहां आम लोगों को सिर्फ 5 रुपये में पौष्टिक खाना मिलेगा। सरकार का अनुमान है कि रोज़ाना लगभग एक लाख लोग इससे लाभान्वित होंगे और इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है।
गरीबी, महंगाई और भूख के बीच राहत की कोशिश
शहर में लगातार बढ़ते खर्च, बेरोज़गारी और महंगाई ने खासकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की जेब पर भारी बोझ डाला है। ऐसे में 5 रुपये में थाली देने की यह योजना न सिर्फ खाने की सुविधा देगी बल्कि एक सामाजिक सुरक्षा कवच का विकल्प भी बन सकती है। सरकारी दावा है कि इसे बड़े पैमाने पर मॉनिटर किया जाएगा ताकि गुणवत्ता और पारदर्शिता बनी रहे।
कैंटीन का समय और व्यवस्था
शहरी विकास मंत्री आशीष सूद के अनुसार दो वक्त का खाना तय समय पर मिलेगा। दोपहर का भोजन सुबह 11:30 बजे से 2 बजे तक उपलब्ध रहेगा जबकि रात का खाना शाम 6:30 बजे से रात 9 बजे तक दिया जाएगा। हालांकि ग्रैप-4 नियमों और तकनीकी कारणों से कुछ जगहों पर सेटअप पूरा नहीं हो सका है। विभाग का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में सभी स्थानों पर सेवाएं चालू कर दी जाएंगी।
पहले आओ, पहले पाओ और बायोमेट्रिक सिस्टम
हर कैंटीन में रोज़ाना 1,000 लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है। इसमें दो टाइम 500-500 लोगों को थाली उपलब्ध होगी।
एक ही व्यक्ति द्वारा दो बार भोजन लेने से रोकने के लिए बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम लगाया गया है। साथ ही हर सेंटर पर सीसीटीवी कैमरों द्वारा निगरानी की जाएगी ताकि प्रक्रिया बिना किसी गड़बड़ी के चल सके।
खाना क्या मिलेगा?
सेंट्रलाइज्ड किचन सिस्टम के तहत पांच-पांच कैंटीनों का एक क्लस्टर बनाया गया है जिससे मानक गुणवत्ता बरकरार रहे।
खाने में मौसमी सब्जी, दाल, चावल, रोटी या चपाती और अचार शामिल है।
कभी-कभार चावल के साथ राजमा या छोले भी दिए जाएंगे।
एक थाली का वजन लगभग 600 ग्राम रखा गया है जो पोषण के लिहाज से संतुलित माना जा रहा है।
कहां-कहां खुली हैं कैंटीन
सरकार ने उन इलाकों को प्राथमिकता दी है जहां आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की संख्या अधिक है। शाहबाद दौलतपुर, संजय कैंप बादली, खड्डा बस्ती समयपुर बादली, जहांगीरपुरी झुग्गी बस्ती, शालीमार बाग, तिमारपुर की इंदिरा बस्ती, लाल बाग, भीमनगर, उद्योग नगर, महिपालपुर का अर्जुन कैंप, ईस्ट सागरपुर, विकासपुरी का इंदिरा कैंप और वसंत विहार का भवर सिंह कैंप प्रमुख लोकेशन हैं जिन्हें पहले चरण में शामिल किया गया है।
एक थाली और एक उम्मीद
स्थानीय लोग इस पहल को उम्मीद की किरण के रूप में देख रहे हैं। भूख और महंगाई के बीच यह कैंटीनें न सिर्फ पेट भरने का जरिया हैं, बल्कि यह प्रश्न भी उठाती हैं कि क्या यह मॉडल देशभर में लागू होने का आधार बन सकता है। वाजपेयी की याद में शुरू यह योजना सामाजिक समावेशन और संवेदनशील शासन की तस्वीर पेश करती है।
इस श्रेणी की और खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें: ब्रेकिंग न्यूज़



