दिल्ली में निजी स्कूल फीस पर बड़ा फैसला: नया कानून लागू, 27 साल पुरानी समस्या पर सरकार की त्वरित कार्रवाई
दिल्ली में शिक्षा शुल्क को लेकर वर्षों से चल रही बहस को आज एक ठोस दिशा मिल गई है। राजधानी के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को ऐलान किया कि दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम–2025 और इससे जुड़े नियम अब तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब अभिभावकों का एक बड़ा वर्ग लगातार इस मांग को उठाता रहा है कि निजी स्कूलों की फीस प्रणाली में स्पष्टता और जवाबदेही लाई जाए।
सरकार ने अधिनियम के लागू होते ही शिक्षा विभाग को सभी प्रक्रियाएँ शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। इसका मतलब है कि अब स्कूलों के फीस प्रस्तावों की समीक्षा, अनुमतियां, वित्तीय रिपोर्टिंग, खर्चों का विश्लेषण और नियमित निगरानी जैसी प्रक्रियाएँ कागज़ पर नहीं, बल्कि धरातल पर दिखेंगी। सूत्रों के अनुसार विभाग ने संबंधित फाइलों को सक्रिय कर दिया है और मासिक समीक्षा तंत्र भी तैयार किया जा रहा है।
सूद ने अपनी घोषणा में एक भावनात्मक टिप्पणी भी जोड़ी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को पिछली सरकारों ने लगभग 27 वर्षों तक नजरअंदाज़ कर दिया, जबकि मौजूदा सरकार ने इसे ‘कुछ ही दिनों’ में प्राथमिकता देकर लागू कर दिखाया। उनके अनुसार यह कदम न सिर्फ प्रशासन की तात्कालिक कार्रवाई की क्षमता दिखाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि शिक्षा को अब वास्तव में एक अधिकार की तरह देखा जा रहा है, न कि सिर्फ एक सेवा की तरह जिसे बेचा जाए।
उन्होंने साफ कहा कि “शिक्षा व्यवसाय नहीं, अधिकार है” और सरकार की नीतियों का केंद्र हर बच्चा होना चाहिए। यही वजह है कि नया कानून अभिभावकों की चिंताओं को केवल सुनेगा नहीं, बल्कि कानूनी रूप से उनका समाधान भी करेगा। वे मानते हैं कि यह पारदर्शिता शिक्षा प्रणाली को मजबूत आधार देगी और निजी स्कूलों पर भी स्पष्ट जिम्मेदारी तय करेगी।
नए कानून का उद्देश्य निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि को नियंत्रित करना, अभिभावकों को निर्णय प्रक्रिया में भागीदार बनाना और स्कूलों की वित्तीय गतिविधियों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना है। स्कूलों को अब अपनी फंडिंग, खर्च, आय–व्यय और फीस संरचना का खुलासा करना होगा। किसी भी फीस संशोधन से पहले अभिभावकों की स्वीकृति और सरकार की मंजूरी अनिवार्य कर दी गई है। बिना अनुमति फीस बढ़ाने पर सीधी कार्रवाई का प्रावधान है, जिसे सरकार बेहद सख्ती से लागू करने के पक्ष में है।
शिकायतों के लिए एक मजबूत तंत्र भी कानून का हिस्सा है, जिसमें अभिभावकों की आवाज़ को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। उम्मीद है कि इससे वे स्थितियाँ खत्म होंगी, जहां अभिभावक सिर्फ विरोध दर्ज कराकर रह जाते थे, लेकिन समाधान नहीं मिल पाता था।
सूद ने अभिभावकों से अपील की कि वे इस व्यवस्था को सफल बनाने में सरकार का साथ दें, ताकि शिक्षा प्रणाली में भरोसा और पारदर्शिता एक नई मानक के रूप में स्थापित हो सके। उन्होंने कहा कि दिल्ली का उद्देश्य सिर्फ फीस नियंत्रण नहीं, बल्कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था तैयार करना है जिसमें स्कूल, अभिभावक और सरकार तीनों की जिम्मेदारी स्पष्ट हो।
सरकार का दावा है कि यह सुधार वर्षों से चली आ रही समस्याओं के अंत की शुरुआत है और आने वाले महीनों में इसके प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखने लगेंगे।
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