दिल्ली लाल किला धमाका अपडेट: डॉक्टरों का आतंकी मॉड्यूल पकड़ा, 2900 किलो विस्फोटक बरामद – अब NIA करेगी जांच

Saloni Yadav

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के दिल में उस वक्त हड़कंप मच गया जब सोमवार शाम करीब 7 बजे लाल किले के पास ज़ोरदार धमाका हुआ। ये धमाका इतना तेज़ था कि आसपास की दीवारें हिल गईं और लोग सहम गए। लेकिन उससे भी बड़ा खुलासा ये हुआ कि धमाके से कुछ घंटे पहले ही पुलिस ने 8 लोगों को धर दबोचा था जिनमें तीन डॉक्टर भी शामिल थे।

इनके पास से करीब 2900 किलो विस्फोटक और हथियार बरामद हुए थे। अब पूरा मामला एनआईए के हवाले कर दिया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि ये कोई छोटी-मोटी साजिश नहीं, बल्कि जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़ा व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल है जो जम्मू-कश्मीर से लेकर हरियाणा और यूपी तक फैला हुआ था।

पढ़े-लिखे डॉक्टर कैसे बने आतंक का हथियार?

इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस मॉड्यूल में डॉक्टर जैसे प्रोफेशनल लोग शामिल थे। ये लोग न सिर्फ पढ़े-लिखे थे बल्कि अच्छी-खासी नौकरी कर रहे थे। इनका काम था रैडिकलाइजेशन फैलाना, फंडिंग जुटाना और नेटवर्क को मजबूत करना। पुलिस वाले बता रहे हैं कि ये “व्हाइट कॉलर टेररिज्म” का नया चेहरा है जिसे पकड़ना आसान नहीं होता क्योंकि ये लोग बाहर से बिल्कुल नॉर्मल लगते हैं। आईए पकड़े गए डॉक्टर्स पर एक नजर डालते है:

मुख्य आरोपी डॉ. मोहम्मद उमर – साजिश का किंगपिन

पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला डॉ. मोहम्मद उमर फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर था। यही शख्स पूरे मॉड्यूल का सरगना बताया जा रहा है। धमाके वाली कार उसके नाम पर रजिस्टर्ड थी। जांच एजेंसी को शक है कि धमाके के वक्त वो खुद कार में सवार था और ये आत्मघाती हमला था। DNA टेस्ट का इंतजार है जिससे साफ हो जाएगा कि मृतक उमर ही था या कोई और। उमर की मां शमीमा बानो, भाई आशिक और जहूर को भी हिरासत में ले लिया गया है। पूछताछ में परिवार से कई अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।

डॉ. आदिल राठर के लॉकर से AK-47 बरामद

कश्मीर के कुलगाम के काजीगुंड का डॉ. आदिल राठर पहले GMC श्रीनगर में MBBS किया, फिर अनंतनाग मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट रहा। अक्टूबर 2024 के बाद प्राइवेट हॉस्पिटल में काम कर रहा था। इसके लॉकर से AK-47 राइफल बरामद हुई है। टेलीग्राम चैट से पता चला कि यही शख्स नई भर्तियां कर रैडिकलाइजेशन और फंडिंग का काम देखता था।

2900 किलो विस्फोटक रखने वाला प्रोफेसर डॉ. मुजम्मिल

35 साल का डॉ. मुजम्मिल पुलवामा का रहने वाला है और अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था। फरीदाबाद के धौज और फतेहपुर टगा में इसके दो किराए के मकान थे जहां से 2900 किलो विस्फोटक, डेटोनेटर और हथियार मिले। 30 अक्टूबर 2025 को इसे वांटेड घोषित किया गया था और 9 नवंबर को फरीदाबाद से पकड़ा गया। सूत्र इसे “व्हाइट कॉलर टेरर इकोसिस्टम” का मास्टरमाइंड बता रहे हैं।

महिला डॉक्टर शाहीन और भाई परवेज अंसारी भी गिरफ्तार

लखनऊ की लाल बाग निवासी डॉ. शाहीन अल-फलाह हॉस्पिटल में काम करती थीं। 9 नवंबर को इन्हें फरीदाबाद से गिरफ्तार कर श्रीनगर ले जाया गया। इनकी कार से भी हथियार बरामद हुए। इनके भाई डॉ. परवेज अंसारी को यूपी एटीएस ने हिरासत में लिया है। धमाके के बाद परवेज और मॉड्यूल के सदस्यों के बीच कई कॉल रिकॉर्ड मिले हैं।

पुलवामा का सज्जाद भी हिरासत में

डॉ. सज्जाद अहमद माला उमर का करीबी दोस्त है और पुलवामा का ही रहने वाला है। अभी ये हिरासत में है और पूछताछ जारी है।

अब क्या होगा आगे?

एनआईए की टीमें दिन-रात एक करके पूछताछ कर रही हैं। धमाके में इस्तेमाल कार के ड्राइवर की DNA रिपोर्ट का इंतजार है। साथ ही फंडिंग का सोर्स, विदेशी हैंडलर, सोशल मीडिया लिंक और बाकी साथियों की तलाश तेज हो गई है। दिल्ली पुलिस, यूपी एटीएस, जम्मू-कश्मीर पुलिस और एनआईए मिलकर इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने में जुटी हैं।

लाल किले जैसे ऐतिहासिक जगह पर हमले की साजिश नाकाम होने से देश ने बड़ी राहत की सांस ली है, लेकिन ये सवाल ज़रूर खड़े हो गए हैं कि पढ़े-लिखे नौजवान आखिर रास्ते से क्यों भटक रहे हैं? जांच पूरी होने पर और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। फिलहाल दिल्ली समेत पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं।

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सलोनी यादव एक अनुभवी पत्रकार हैं जिन्होंने अपने 10 साल के करियर में कई अलग-अलग विषयों को बखूबी कवर किया है। उन्होंने कई बड़े प्रकाशनों के साथ काम किया है और अब NFL स्पाइस पर अपनी सेवाएँ दे रहा है। सलोनी यादव हमेशा प्रामाणिक स्रोतों और अपने अनुभव के आधार पर जानकारी साझा करती हैं और पाठकों को सही और विश्वसनीय सलाह देती हैं।