भारत में सोना सिर्फ धातु नहीं, बल्कि भावनाओं का प्रतीक है. पीढ़ियों से चली आ रही सोने की ज्वैलरी अक्सर परिवारों के लिए अनमोल होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि विरासत में मिले सोने पर टैक्स देना पड़ता है? आइए इस सवाल का जवाब आसान भाषा में समझते हैं.
विरासत में मिले सोने पर टैक्स नहीं
आयकर नियमों के मुताबिक अगर आपको माता-पिता, दादा-दादी या किसी रिश्तेदार से सोने की ज्वैलरी या सिक्के विरासत में मिलते हैं तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता. चार्टर्ड अकाउंटेंट अनूप सोनी के अनुसार:
“विरासत में मिली संपत्ति को आयकर अधिनियम में इनकम नहीं माना जाता. यानी सोना मिलने के समय आपको टैक्स देने की जरूरत नहीं है.”
टैक्स कब लगता है?
हालांकि अगर आप इस सोने को बेचते हैं, तो टैक्स की बात आती है. सोने की बिक्री से होने वाला मुनाफा लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता है अगर आपने इसे तीन साल से ज्यादा रखा हो. इस मुनाफे पर 20% टैक्स लगता है साथ ही सरचार्ज और 4% हेल्थ व एजुकेशन सेस भी देना होता है.
टैक्स की गणना कैसे होती है?
मान लीजिए, आपको 2001 में खरीदा गया 3 लाख रुपये का सोना विरासत में मिला जिसे आप आज 8 लाख रुपये में बेचते हैं. टैक्स की गणना के लिए:
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2001 की फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) या खरीद मूल्य को महंगाई के हिसाब से इंडेक्स किया जाता है.
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मुनाफा = बिक्री मूल्य (8 लाख) – इंडेक्स्ड लागत.
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इस मुनाफे पर 20% टैक्स + सेस लागू होता है.
उदाहरण: अगर इंडेक्स्ड लागत 5 लाख रुपये बनती है तो मुनाफा 3 लाख रुपये होगा. इस पर टैक्स 60,000 रुपये (20%) + सेस होगा.
टैक्स बचाने का तरीका
अगर आप सोने की बिक्री से मिले पूरे पैसे को एक नया घर या अपार्टमेंट खरीदने में लगाते हैं तो आयकर अधिनियम की धारा 54F के तहत कुछ शर्तों के साथ टैक्स छूट मिल सकती है. इसके लिए आपको खरीदारी बिक्री के एक साल के भीतर या दो साल बाद तक पूरी करनी होगी.
विरासत में मिला सोना अपने आप में टैक्स-फ्री है लेकिन इसे बेचने पर टैक्स देना पड़ सकता है. अगर आप इसे बेचने का प्लान कर रहे हैं तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लें ताकि टैक्स की सही गणना हो सके और छूट का फायदा उठाया जा सके.
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