PM विश्वकर्मा योजना: कलाकारों को 2 लाख का लोन, 15,000 की टूलकिट मदद! जानें पूरा प्रोसेस
प्रधानमंत्री मोदी 17 सितंबर को विश्वकर्मा योजना लॉन्च करेंगे। परंपरागत कलाकारों व कारीगरों को 2 लाख तक लोन, 15,000 रुपये टूलकिट सहायता और प्रशिक्षण के साथ स्कॉलरशिप मिलेगी। एक परिवार के एक सदस्य को ही लाभ मिलेगा।
- PM विश्वकर्मा योजना 17 सितंबर को लॉन्च
- कारीगरों को मिलेगा ₹2 लाख तक सस्ता लोन
- 15,000 रुपये का टूलकिट और ट्रेनिंग सपोर्ट
- परंपरागत हुनर को मिलेगी नई पहचान
नई दिल्ली। भारत की परंपरागत कला और कारीगरी को नई ऊर्जा देने के लिए केंद्र सरकार एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को दिल्ली के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत करेंगे। यह योजना उन कलाकारों और कारीगरों के लिए है जिनके कौशल से सदियों से समाज की मूलभूत ज़रूरतें पूरी होती आई हैं लेकिन आधुनिक बाज़ार में अवसर सीमित रह गए थे।
योजना की लॉन्चिंग और उद्देश्य
सरकार का कहना है कि यह योजना सिर्फ वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि कौशल को नई पहचान देने का प्रयास है। प्रधानमंत्री इसे सोशल जस्टिस और आर्थिक सशक्तिकरण का संगम बता रहे हैं। कार्यक्रम की लॉन्चिंग पर हजारों कारीगरों को आमंत्रित किए जाने की तैयारी है ताकि उन्हें इस योजना का हिस्सा बनने का सीधा अवसर मिल सके।
2 लाख का लोन और 15,000 रुपये का टूलकिट सपोर्ट
इस योजना के तहत कलाकारों को चरणबद्ध तरीके से आर्थिक मदद मिलेगी। पहली किस्त में 1 लाख रुपये का लोन मात्र 5% ब्याज दर पर और दूसरी किस्त में 2 लाख रुपये का लोन उसी ब्याज दर पर दिया जाएगा। सरकार ब्याज का बोझ भी काफी हद तक खुद वहन करेगी।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन 500 रुपये स्कॉलरशिप और आधुनिक टूलकिट खरीदने के लिए 15,000 रुपये की सहायता भी शामिल है। सरकार का दावा है कि यह योजना कलाकारों को नौकरी मांगने वाला नहीं, बल्कि काम पैदा करने वाला बनाएगी।
किन कलाकारों को मिलेगा फायदा
इस योजना की खासियत यह है कि इसमें वही लोग शामिल होंगे जिनके काम को हम रोजमर्रा की ज़िंदगी में देखते तो हैं, लेकिन अक्सर अनदेखा कर देते हैं।
दर्जी, धोबी, नाव निर्माता, मोची, कुम्हार, बढ़ई, सुनार, लोहार, खिलौना निर्माता, मछलियों के जाल बनाने वाले, पत्थर तराशने वाले और ऐसे कई पारंपरिक क्षेत्र के कलाकार इस लाभ में शामिल हैं।
आवेदन की प्रक्रिया और योग्यता
18 वर्ष से अधिक आयु के लोग इस योजना के लिए पात्र होंगे। एक परिवार से केवल एक व्यक्ति आवेदन कर सकेगा। सरकार ने पांच साल (2024-28) की अवधि के लिए 13,000 करोड़ रुपये का बड़ा बजट निर्धारित किया है।
आवेदन के लिए पहचान पत्र, कौशल की पुष्टि और स्वयं-घोषणा पत्र आवश्यक होंगे। डिजिटल ट्रांजैक्शन पर सरकार प्रोत्साहन देने की भी बात कह रही है की हर भुगतान पर 1 रुपये इंसेंटिव के तौर पर वापस करने का प्रस्ताव है।
उम्मीदों की एक नई शुरुआत
कारीगरों और कलाकारों में इस योजना को लेकर उत्सुकता और उम्मीद दोनों दिखाई दे रही है। कई लोगों का मानना है कि इससे उन्हें सिर्फ आर्थिक राहत ही नहीं बल्कि बाजार और तकनीकी दुनिया तक पहुंचने का रास्ता मिलेगा। सरकार का लक्ष्य है कि परंपरागत कौशल वैश्विक स्तर पर ब्रांड बनकर उभरे और भारत के हुनर को पहचान मिले।
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